Ayodhya Ram Mandir: रामलला की नगरी अयोध्या में उत्सव का माहौल है. आज अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में धूमधाम से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसे लेकर पूरे देश में भक्त भाव और उत्साह की लहर है. आइए इसी कड़ी में आपको भगवान राम की चार विशेष स्तुतियों के बारे में बताते हैं. इसमें हम जानेंगे कि इन स्तुतियों का पाठ करने से क्या लाभ होता है और इन्हें करने का नियम क्या है.
भगवान राम की मुख्य स्तुति
भगवान राम की मुख्य स्तुति है "श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन". यह तुलसीदास द्वारा लिखित विनय पत्रिका में उल्लेखित है. यह स्तुति भगवान के स्वरूप और गुणों का वर्णन करती है. नियमित रूप से इस स्तुति को करने से संस्कार शुद्ध होते हैं. व्यक्ति को ईश्वरीय कृपा का अनुभव होता है. नित्य संध्याकाल में इस स्तुति को करना सबसे ज्यादा शुभ होता है. परिवारजनों के इस स्तुति को करने से समस्त परिवार का मंगल होता है.
भगवान राम की दूसरी स्तुति
भगवान राम की दूसरी स्तुति "राम रक्षा स्तोत्र" है. वैसे तो नियमित रूप से इसका पाठ किया जा सकता है. लेकिन अगर स्वास्थ्य या आयु का संकट हो तो इस पाठ को जरूर करना चाहिए. मारक दशाओं की स्थिति में इस पाठ को करना अचूक फल देता है. इसका पाठ करते समय सामने एक लोटे में जल भरकर रख लें. पाठ के बाद उस जल को शरीर पर लगाएं. शरीर के हर अंग की रक्षा होगी
भगवान राम की तीसरी स्तुति
भगवान राम की तीसरी स्तुति उत्तरकाण्ड में भगवान शिव द्वारा की गई है. यह स्तुति है- "जय राम रमा रमनं शमनं". यह स्तुति भगवान राम के राज्याभिषेक के समय की है. इस स्तुति को नित्य करने से राज्य पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है. नौकरी संबंधी कोई समस्या हो या उच्च पद प्राप्त करना चाहते हों तो, इस स्तुति को नित्य प्रातः करना चाहिए.
भगवान राम की चौथी स्तुति
भगवान चौथी स्तुति, भगवान सूर्य की स्तुति, आदित्य ह्रदय स्तोत्र है. यह स्तुति रामायण के युद्धकाण्ड में वर्णित है. युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए भगवान राम ने सूर्य देव की यह स्तुति की थी. किसी भी तरह के युद्ध, विवाद और मुकदमे में सफलता के लिए इसका पाठ अचूक है. राज्य कृपा और राजकीय सेवा के लिए भी इसका पाठ किया जाता है. प्रातःकाल उगते हुए सूर्य के समक्ष इसका पाठ करना तुरंत फलदायी होता है.