Vinayaka Chaturthi 2025 Date: दिसंबर महीने की यह दूसरी चतुर्थी साल 2025 की आखिरी चतुर्थी है और इसे विशेष रूप से विघ्नेश्वर चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन गणपति बप्पा की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष की चतुर्थी पर पंचक और भद्रा का असर भी रहेगा और साथ ही एक शुभ योग भी बन रहा है. आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ समय कौन सा है.
विनायक चतुर्थी कब है
द्रिक पंचांग के अनुसार, 2025 की अंतिम विनायक चतुर्थी यानी पौष शुक्ल चतुर्थी 23 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से शुरू हो चुकी है. 24 दिसंबर यानी आज दोपहर 1 बजकर 11 बजे तक इसका समापन होगा. उदयातिथि के अनुसार इस वर्ष का चतुर्थी व्रत 24 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस दिन गणेश जी की पूजा का शुभ समय दोपहर 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. यानी इस चतुर्थी पर करीब 1 घंटे 50 मिनट का मुहूर्त मिलेगा, जिसमें व्रत और पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं.
पंचक और भद्रा का महत्व
इस बार चतुर्थी के दिन पंचक और भद्रा काल रहेगा. पंचक 24 दिसंबर से शुरू होगा. भद्रा का समय आज सुबह 7 बजकर 11 मिनट से दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. ज्योतिष के अनुसार भद्रा का प्रभाव पाताल लोक में रहने के कारण पूजा-पाठ पर कोई असर नहीं करेगा. साथ ही, राहुकाल दोपहर 12:21 बजे से 1:38 बजे तक रहेगा, इस समय किसी भी शुभ कार्य से परहेज करना चाहिए.
बुधवार का महत्व
चतुर्थी का दिन बुधवार पड़ रहा है, जो भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है. इस दिन व्रत रखने और गणेश जी की पूजा करने से बुधवार व्रत का भी फल मिलेगा. ऐसा माना जाता है कि चतुर्थी व्रत करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है, संकट दूर होते हैं, साथ ही सभी कार्य सफल होते हैं.
चंद्रमा दर्शन से बचें
इस दिन विशेष सावधानी यह रखें कि चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं किया जाना चाहिए, अन्यथा झूठे कलंक और बाधाएं लगने की संभावना रहती है.
पूजा और व्रत का तरीका
सुबह स्नान करें और साफ-सुथरे स्थान पर गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. गणेश जी पर लाल फूल, मोदक और हल्दी-कुंकुम चढ़ाएं. मंत्र “ॐ गण गणपतये नमः” का जाप करें. व्रत रखने वाले दिनभर फल और हल्का भोजन करें. चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए, अन्यथा कलंक लगने की मान्यता है.