scorecardresearch
 

Gopashtami 2022: आज है गोपाष्टमी, इस तरह करेंगे पूजा तो मिलेगा सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद

भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पूजा के दिन अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पहाड़ी को उठा लिया था जिसके नीचे सभी ब्रजवासियों ने बाढ़ से बचने के लिए शरण ली थी. ब्रज क्षेत्र में सात दिनों की निरंतर बाढ़ के बाद भगवान इंद्र का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने गोपाष्टमी के दिन ही अपनी हार स्वीकार की थी. गोपाष्टमी का त्योहार पूरे ब्रज क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है.

Advertisement
X
आज है गोपाष्टमी
आज है गोपाष्टमी

हिंदू धर्म में गोपाष्टमी त्योहार का विशेष महत्व है. इस दिन गौ माता और उनके बछड़ों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है.  ये त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है. ये मथुरा, वृंदावन समेत ब्रज क्षेत्रों का प्रसिद्ध त्योहार है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गौ माता का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन गायों की पूजा करना बेहद शुभ और फलदायी है जिससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

ये है पूजा का शुभ मुहुर्त

एक नवंबर यानी आज सुबह 1 बजकर 11 मिनट पर अष्टमी तिथि की शुरुआत हो गई है और ये रात 11 बजकर 4 मिनट पर समाप्त होगी. राहुकाल को छोड़कर दिन में कभी भी गोपाष्टमी का पूजन किया जा सकता है. हालांकि अभिजित मुहूर्त पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है. अभिजित मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा.

गोपाष्टमी पर ऐसे कीजिए पूजा
गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं और मंदिर की सफाई करें. इसके बाद मंदिर में गाय माता की बछड़े के साथ एक तस्वीर लगाएं और घी का दीपक जलाएं. इसके बाद फूल अर्पित करें. इस दिन गाय को अपने हाथों से हरा चारा खिलाना चाहिए और उनके चरण स्पर्श करने चाहिए. अगर आपको अपने घर के आसपास गाय ना मिले तो गौशाला में जाकर गाय की सेवा कर सकते हैं. पूजा के लिए सबसे पहले गाय स्नान कराएं और रोली-चंदन से उनका तिलक करें. उन्हें फूल चढ़ाएं और भोग लगाएं. इस दिन गाय को चारे के साथ ही गुड़ का भी भोग लगाएं. इससे सूर्य दोष से मुक्ति मिलती है. 

Advertisement

गोपाष्टमी का महत्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पूजा के दिन अपनी कनिष्ठा (छोटी उंगली) पर गोवर्धन पहाड़ी को उठा लिया था जिसके नीचे सभी ब्रजवासियों ने बाढ़ से बचने के लिए शरण ली थी. ब्रज क्षेत्र में सात दिनों की निरंतर बाढ़ के बाद भगवान इंद्र का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने गोपाष्टमी के दिन ही अपनी हार स्वीकार की थी.

भगवान कृष्ण ने ब्रज के लोगों को भगवान इंद्र को दी जाने वाली वार्षिक भेंट को बंद करने का सुझाव दिया था जिस पर इंद्र नाराज हो गए और क्रोध में उन्होंने ब्रज क्षेत्र में भारी बारिश शुरू कर दी जिसमें सबकुछ बहने लगा. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों और वहां के सभी पशुओं की गोवर्धन पहाड़ी के विशाल आवरण के नीचे सात दिन तक सुरक्षा की. इस दिन गौ माता की विशेष पूजा का विधान है. शास्त्रों के अनुसार, गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा करने से भक्त को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

 

Advertisement
Advertisement