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Pope Francis Ring: दफनाने से पहले क्यों तोड़ दी जाती है पोप की अंगूठी? जानें इसके पीछे का रहस्य

जब पोप के मृत शरीर का मेडिकल ट्रीटमेंट बंद हो जाता है और उनका शरीर काम करना बंद कर देता है. इस प्रक्रिया के बाद उनकी रिंग को तोड़ा जाता है, जिसका इस्तेमाल वो दस्तावेजों पर मुहर की तरह करते थे.  

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पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस

सबसे बड़े ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का कल 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. वेटिकन के मुताबिक, पोप फ्रांसिस ने सुबह 7.35 बजे आखिरी सांस ली थी. फ्रांसिस ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और चर्च को समर्पित कर दिया था. इसलिए उन्हें 'पीपुल्स पोप' (लोगों के प्रिय पोप) के नाम से भी जाना जाता था. पोप फ्रांसिस लैटिन अमेरिका से बनने वाले पहले पोप थे. उनके निधन के बाद वेटिकन में 9 दिनों का शोक घोषित किया गया है. इस दौरान सेंट पीटर्स बेसिलिका में पोप के पार्थिव शव को रखा जाएगा. इसी जगह पर लोग पोप के अंतिम दर्शन करेंगे.

वेटिकन की परंपरा के मुताबिक, जब पोप के मृत शरीर का मेडिकल ट्रीटमेंट बंद हो जाता है और उनका शरीर काम करना बंद कर देता है तो उनके दाहिने हाथ की अंगुली में मौजूद रिंग को तोड़ दिया जाता है. एक जमाने में इस अंगूठी का प्रयोग महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर मुहर लगाने के लिए किया जाता था.

पोप फ्रांसिस की रिंग (फिशरमैन रिंग) क्या है?

पोप फ्रांसिस को साल 2013 में पोप चुने जाने पर यह रिंग दी गई थी और अब उनके निधन के साथ इस अंगूठी को नष्ट कर दिया जाएगा.

फिशरमैन रिंग का महत्व

कैथोलिक परंपरा के मुताबिक, कैथोलिक चर्च के प्रमुख यानी पोप को उनके पद संभालने के समय यह खास रिंग दी जाती है, जिसे 'फिशरमैन रिंग' के नाम से जाना जाता है. यह रिंग पोप की चर्च से जुड़ी जिम्मेदारी और अधिकार का प्रतीक होती है. पोप इस रिंग को अपने दाहिने हाथ की रिंग फिंगर में पहनते हैं.

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रिंग पर कैथोलिक चर्च के पहले पोप सेंट पीटर की तस्वीर बनी हुई होती है और कुछ रिंग्स पर सेंट पीटर को फिशरमैन के रूप में चिह्नित किया गया है, जिसमें वो मछलियां पकड़ते हुए दिख रहे हैं. तो कुछ में वो स्वर्ग की चाबियां पकड़े हुए दिख रहे हैं. मान्यताओं के अनुसार, जीसस क्राइस्ट ने सेंट पीटर को पहला पोप घोषत किया था. इसलिए जब भी कोई नया पोप चुना जाता है तो रिंग पर उनकी छवि बनी होती है. 

एक दौर था जब पोप इस रिंग का प्रयोग निजी दस्तावेजों पर मुहर लगाने के लिए करते थे. लेकिन, अब इस रिंग का इस्तेमाल सिर्फ धार्मिक मकसद से किया जाता है. पोप को दी जाने वाली फिशरमैन रिंग गोल्ड की बनाई जाती है. लेकिन, साल 2013 में पोप फ्रांसिस को सिल्वर की गोल्ड प्लेटिड रिंग दी गई थी.

क्यों तोड़ दी जाती है रिंग?

पोप के निधन के बाद वेटिकन के एक सीनियर अधिकारी कार्डिनल कैमरलेंगो ने बताया कि पोप की फिशरमैन रिंग को एक खास तरह के हथौड़े से तोड़ने की परंपरा है. यह परंपरा पोप के कार्यकाल के अंत का प्रतीक होती है और यह भी सुनिश्चित करती है कि उस रिंग का गलत इस्तेमाल ना हो. रिंग को तोड़ने के बाद नया पोप चुनने की प्रक्रिया शुरू होती है. हालांकि, जब पोप बेनेडिक्ट XVI ने साल 2013 में इस्तीफा दिया था, तब इस रिंग को नहीं तोड़ा गया था. 

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पोप की रिंग को चूमने की परंपरा

कैथोलिक धर्म में पोप की रिंग को चूमने से जुड़ी भी एक परंपरा है. लोग पोप के हाथों और उनकी अंगूठी को चूमते हैं. पोप की रिंग चूमना सम्मान दिखाने का एक पुराना तरीका है. लेकिन कुछ सालों से यह परंपरा कम हो गई है. खुद पोप फ्रांसिस भी अंगूठी चूमे जाने के पक्ष में नहीं थे. साल 2019 में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें पोप फ्रांसिस अंगूठी को चूमने से बचाने के लिए हाथ पीछे खींच रहे थे. हालांकि, बाद में वेटिकन ने बताया कि ऐसा बीमारी फैलने से बचने और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए किया गया था.

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