26 अक्टूबर यानी आज प्रधानमंत्री मोदी शिरडी के साईं बाबा मंदिर में उनके दर्शन और उनकी पूजा करेंगे. शिरडी महाराष्ट्र के सबसे खास धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है. हर साल यहां लाखों लोग बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है बल्कि बाबा का दर्शन करने लोग विदेशों से भी आते हैं.
शिरडी के साईं की प्रसिद्धि दूर दूर तक है और यह पवित्र धार्मिक स्थल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है. यह साईं की धरती है जहां साईं ने अपने चमत्कारों से लोगों को विस्मृत किया. साईं का जीवन शिरडी में बीता जहां उन्होंने लोक कल्याणकारी कार्य किए. शिरडी में साईं का एक विशाल मंदिर है. मान्यता है कि, चाहे गरीब हो या अमीर साईं के दर्शन करने इनके दरबार पहुंचा कोई भी शख्स खाली हाथ नहीं लौटता है. सभी की मुरादें और मन्नतें पूरी होती हैं.
शिरडी का साईं मंदिर
शिरडी में साईं बाबा का पवित्र मंदिर साईं की समाधि के ऊपर बनाया गया है. साईं के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए इस मंदिर का निर्माण 1922 में किया गया था. साईं 16 साल की उम्र में शिरडी आए और चिरसमाधि में लीन होने तक यहीं रहे. साईं को लोग आध्यात्मिक गुरु और फकीर के रूप में भी जानते हैं.
शिरडी इतने एकड़ में फैला हुआ है
शिरडी का मुख्य साईं बाबा का मंदिर 4.5 एकड़ में फैला हुआ है और शिरडी का यह गांव लगभग 7 एकड़ में फैला हुआ है. शिरडी में हर साल करोड़ों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. साथ ही अपनी झोली भरकर दान भी करते हैं. साईंबाबा के मंदिर में सालभर में लगभग 400 करोड़ 17 लाख दान आता है. जिसकी संख्या हर साल बढ़ती ही जा रही है.
सालभर में 26 किलो सोना और 330 किलो चांदी के आभूषण जिसकी कीमत कुल 13 करोड़ 63 लाख रुपये हैं, सोना चांदी के माध्यम से प्राप्त हुआ. इस दान के माध्यम से साई बाबा मंदिर ट्रस्ट दो अस्पताल चलाते हैं. साईबाबा प्रसादालय में रोजाना 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं को मुफ्त में भोजन दिया जाता है.
शिरडी के साईं बाबा की चमत्कारी कहानी
कड़वे नीम के मीठे पत्ते
साईं बाबा ने अपने जीवन का काफी समय शिरडी में बिताया. जब भी वह शिरडी आते थे तो अधिकांशत: नीम के पेड़ के नीचे ही बैठते थे, जिसे अब गुरूस्थान के नाम से जाना जाता है. इस नीम के पेड़ की पत्तियों की खासियत है कि ये मीठी हैं, जबकि नीम अपनी कड़वाहट के लिए मशहूर है. यदि कभी आप शिरडी जाएं और आपको इस पेड़ की पत्तियां गिरी हुईं मिलें तो उन्हें चखें. माना जाता है कि जिन भी लोगों को इस नीम के पेड़ की पत्ती चखने का मौका मिलता है, वे हमेशा स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कभी कोई बीमारी नहीं होती है.