Pitru Paksha 2024: आज पितृपक्ष में अष्टमी तिथि का श्राद्ध किया जाएगा. अष्टमी तिथि पर उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि को परलोक सिधार जाते हैं. पितृपक्ष में हमारे पितृ स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर आते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष में यदि श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण विधिवत किया जाए तो दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे सुखी संतुष्ट होकर लौट जाते हैं. आइए अष्टमी तिथि के श्राद्ध की पूरी विधि जानते हैं
अष्टमी श्राद्ध की विधि
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सवरे-सवेरे स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लेना चाहिए. पितरों की तिथि के अनुसार, आसन की स्थापना करें. आसन पर कुशा या चावल बिछाकर उस पर दक्षिणमुखी होकर बैठें. इस दिन तर्पण के लिए जल, काले तिल, चावल और कुशा का उपयोग किया जाता है. जल में काले तिल मिलाकर पितरों का नाम लेकर तीन बार तर्पण करें. पिंडदान श्राद्ध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पिंड चावल, जौ का आटा, दूध और घी मिलाकर बनाए जाते हैं.
इसके बाद पंचबलि कर्म के साथ ब्राह्मणों को भोजन कराना और उनको कच्चे अनाज का दान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु के गोविंद स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और उसके बाद गीता के आठवें अध्याय का पाठ करना चाहिए. साथ ही, पितृ मंत्र का जाप कर क्षमा याचना करना चाहिए.
अष्टमी श्राद्ध नियम
अष्टमी के श्राद्ध भोजन में लौकी की खीर, पालक, पूड़ी, फल-मिठाई के साथ लौंग-इलायची और मिश्री जरूर शामिल करना चाहिए. उसके बाद अष्टमी पितृ मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसी मान्यता के अनुसार, अष्टमी पर श्राद्ध करने वाले श्राद्धकर्ता पर पितरों का आशीर्वाद बरसता है. श्राद्ध करने से परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है. कहते हैं कि जो लोग विधिवत अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं, उन पर कभी कोई संकट नहीं आता है.