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Margashirsha Amavasya 2025: 19 या 20 नवंबर, कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान, दान और पूजा से प्रसन्न होकर हमारे पितृ परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

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मार्गशीर्ष अमावस्या पर श्रद्धा से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. (Photo: AI Generated)
मार्गशीर्ष अमावस्या पर श्रद्धा से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. (Photo: AI Generated)

Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म में सालभर में कुल बारह अमावस्या आती हैं, जिनमें मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही, पितरों की शांति के लिए तर्पण, पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंदों को दान करना बेहद शुभ और पुण्यकारी माना जाता है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर श्रद्धा से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है.

हालांकि इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या को लेकर बहुत असमंजस बना हुआ है. कोई 19 नवंबर तो कोई 20 नवंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या बता रहा है. आइए आपको मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त बताते हैं.

मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस  साल मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि 19 नवंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट से लेकर 20 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक रहने वाला है. उदिया तिथि के अनुसार, इस बार 20 नवंबर, दिन गुरुवार को मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा की जाएगी.

पूजा का शुभ मुहूर्त
सूर्योदय- सुबह 06:48
पितरों की पूजा का समय- सुबह 11:30 से दोपहर 12:30
विष्णु पूजा का मुहूर्त- सुबह 05:01 से सुबह 05:54

पूजन विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या की सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. और सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें. घर के पूजन स्थल पर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. फिर देसी घी का दीप प्रज्वलित करें. भगवान विष्णु को जल, अक्षत, चंदन, पुष्प, फल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें. इशके बाद विष्णु जी के मंत्रों का जप करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें और भगवान की आरती उतारें. इसके बाद पितरों के तर्पण या उनकी आत्मा की शांति के लिए विधिपूर्वक पूजा करवाएं. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार, गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें.

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भगवान विष्णु के दिव्य मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नमो नारायणाय
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि. तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्

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