Kaal Bhairav Jayanti 2025: आज काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जा रहा है. इस भैरव अष्टमी को भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप भैरव जी के प्रकट होने का दिन माना जाता है. इस दिन भक्त भैरव जी की उपासना कर भय, संकट और नकारात्मकता से मुक्ति की कामना करते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार, इस मार्गशीर्ष के महीने में भगवान काल भैरव की विशेष पूजा का विधान बताया गया है. इसलिए, इसे भैरव अष्टमी और कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यताओं के अनुसार, तंत्र साधना खासकर शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है. वैसे तो भैरव जी भगवान शिव का रौद्र रूप है, लेकिन कहीं कहीं पर इनको शिव का पुत्र भी माना जाता है. इसके अलावा, मान्यता ऐसी भी है कि जो कोई भी शिव जी के मार्ग पर चलता है उसे भी भैरव कहा जाता है. साथ ही, इनकी पूजा करने से शनि और राहु की बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है.
कालाष्टमी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025, मंगलवार की रात 11 बजकर 9 मिनट पर हो चुकी है और यह तिथि 12 नवंबर 2025 यानी आज रात 10 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी.
विजय मुहूर्त : दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त : सायं 5 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 55 मिनट तक
भगवान भैरव के सभी रूपों की विशेषता
भगवान भैरव के तमाम स्वरूप बताए गए हैं- असितांग भैरव, रूद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि.
बटुक भैरव और काल भैरव की पूजा और ध्यान सर्वोत्तम है. बटुक भैरव भगवान का बाल रूप हैं, इन्हें आनंद भैरव भी कहते हैं. इस सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी होती है. काल भैरव इनका साहसिक युवा रूप है. इनकी आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी में विजय मिलती है. वहीं, असितांग भैरव और रूद्र भैरव की उपासना अति विशेष है. जो मुक्ति मोक्ष और कुंडलिनी जागरण के दौरान प्रयोग की जाती है.
कैसे करें भगवान काल भैरव की उपासना?
काल भैरव जयंती के दिन संध्याकाल में भैरव जी की पूजा की जाती है. इनके सामने एक बड़े से दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं. फिर, उड़द की बनी हुई या दूध की बनी हुई वस्तुएं प्रसाद के रूप में दें. प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मंत्रों का जाप करें.