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Janmashtami 2023 Date: आज या कल, कब है जन्माष्टमी? पूजा के लिए सिर्फ इतने मिनट का मुहूर्त

ज्योतिषविद अश्वनी पांडे ने आजतक को बताया कि 6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है, जो कि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा.

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Janmashtami 2023 Date: आज या कल, कब है जन्माष्टमी? ज्योतिषविद ने दूर की कन्फ्यूजन
Janmashtami 2023 Date: आज या कल, कब है जन्माष्टमी? ज्योतिषविद ने दूर की कन्फ्यूजन

Janmashtami 2023 Kab Hai: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है. इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज है. कोई 6 सितंबर तो कोई 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार बता रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर जन्माष्टमी के त्योहार की सही तिथि क्या है.

कब है जन्माष्टमी? (Janmashtami 2023)
देव ज्योतिषी और महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट के महंत अश्वनी पांडे ने आजतक को बताया कि 6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है, जो कि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा. इसलिए शैव परंपरा के लोग बुधवार, 6 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. चूंकि वैष्णव संप्रदाय में उदिया तिथि का अधिक महत्व होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे.

उन्होंने आगे बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्री कृष्ण  के अवतरण दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाता है. अतः श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है. वैसे तो लड्डू गोपाल की सोने चांदी पीतल आदि की मूर्ति होती है. किंतु अष्टधातु की मूर्ति का पूजन करना लाभप्रद होता है.

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शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2023 Shubh muhurt)
ज्योतिषविदों का कहना है कि इस साल गृहस्थ जीवन के लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे. जन्माष्टमी की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त भी 6 सितंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. यानी शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए आपको 46 मिनट का समय मिलेगा.

जन्माष्टमी की पूजन विधि (Janmashtami 2023 Puja Vidhi)
देव ज्योतिषी महंत अश्वनी पांडे ने आगे बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि में सर्वप्रथम सुबह उठकर ओम नमो भगवते वासुदेवा का मन में जब करना चाहिए. इसके बाद जिस स्थान पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित हो, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर शुद्ध करना चाहिए. इस स्थान को अशोक की पत्ती, फूल, माला और सुगंध इत्यादि से खूब सजाना चाहिए.

इस स्थान पर बच्चों के छोटे-छोटे खिलौने लगाएं. पालना लगाएं. प्रसन्न मन के साथ श्री हरि का कीर्तन करें और व्रत रखें. संभव हो सके तो निराहार अथवा फलाहार ही व्रत रखें. फिर शाम के समय भजन संध्या पूजन करें और रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का पंचामृत से स्नान करें. उन्हें मीठे पकवान, माखन इत्यादि का भोग लगाएं. तुलसी दल अर्पित करें. फल, फूल और मेवा अर्पित करें. केसर चंदन तिलक करें और रातभर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इससे आपके सभी कष्टों का नाश होगा और उसे सुख, स्वास्थ और समृद्धि की प्राप्ति होगी.

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30 साल बाद अद्भुत संयोग (Janmashtami 2023 Sanyog)
ज्योतिषविद ने आगे बताया कि इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष संयोग भी बना रहा है. जन्माष्टमी पर 30 साल बाद शनि ग्रह स्वराशि कुंभ में रहेंगे. साथ ही, जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, वृषभ राशि में चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है.

जन्माष्टमी के उपाय (Janmashtami 2023 Upay)

1. ज्योतिषविद ने बताया कि सभी प्रकार के मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान का संपूर्ण विधि से पूजन करना चाहिए. यदि विशेष रूप से धन या संतान की प्राप्ति चाहते हैं तो कुछ विशेष उपाय जरूर कर लें. संतान प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण का दूध से अभिषेक करें. साथ ही, भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं. 

2. धन लाभ के लिए केसर जल से भगवान का स्नान करना चाहिए. केसर, घी और चंदन उनका लेपन करना चाहिए और रात्रि जागरण करते हुए ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है. जहां नारायण हैं वहीं माता लक्ष्मी हैं. जब नारायण प्रसन्न होते हैं तो देवी लक्ष्मी जरूर कृपा बरसाती हैं. इस प्रकार के पूजन से मनुष्य को धन लाभ की निश्चित ही प्राप्ति होगी.

क्या करें क्या न करें? (Janmashtami 2023 Do's and Don'ts)
जन्माष्टमी के दिन व्यक्ति को पूरी तरह सात्विक रहना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. झूठ, कपट, निंदा, दिखावा, क्रोध, लोभ या मोह से दूर रहना चाहिए. घर में कलेश नहीं करना चाहिए. मांस-मदिरा के सेवन से परहेज करें. तामसिक भोजन का सेवन न करें. शांतिपूर्वक और प्रेम पूर्वक, भक्ति पूर्वक, मौन धारण करके मन में ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए. साथ ही, रात्रि में भगवान का भजन करना चाहिए. 

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