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Ashwin Month 2022: आश्विन मास आज से शुरू, इस महीने भूलकर भी ना करें ये 5 गलतियां

आश्विन मास मां दुर्गा को समर्पित महीना है. इस महीने से सूर्य धीरे धीरे और भी कमजोर होने लगते हैं. शनि और तमस का प्रभाव बढ़ता जाता है. इस महीने भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस बार आश्विन का महीना 11 सितंबर से 09 अक्टूबर तक रहने वाला है.

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Ashwin Month 2022: आश्विन मास आज से शुरू, इस महीने भूलकर भी ना करें ये 5 गलतियां
Ashwin Month 2022: आश्विन मास आज से शुरू, इस महीने भूलकर भी ना करें ये 5 गलतियां

Ashwin Month 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल का सातवां महीना आश्विन मास कहलाता है. देव और पितृ पूजन के लिहाज से ये महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. आश्विन मास मां दुर्गा को समर्पित महीना है. इस महीने से सूर्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं. शनि और तमस का प्रभाव बढ़ता जाता है. इस महीने भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस बार आश्विन का महीना रविवार, 11 सितंबर से रविवार, 09 अक्टूबर तक रहने वाला है. इस महीने कुछ विशेष सावधानी बरतना जरूरी बताया गया है.

इस महीने में किन देवी-देवताओं की पूजा होती है? (Ashwin Month 2022 Puja)
आश्विन मास दो भागों में बंटा हुआ है. कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष कहा जाता है. इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. जबकि दूसरा शुक्ल पक्ष होता है, जिसमें नवरात्रि के व्रत रखे जाते हैं. इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. इस माह पूर्वजों का आशीर्वाद और देवी की कृपा दोनों मिल जाते हैं. पितरों के आशीर्वाद से जीवन में चल रही समस्याएं दूर होती हैं और मां दुर्गा के आशीर्वाद से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है. इस बार आश्विन मास में पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेंगे. जबकि शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 04 अक्टूबर को समाप्त होंगे.

आश्विन मास में किन बातों का रखें ख्याल?
आश्विन मास में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. इस महीने दूध का प्रयोग वर्जित है. जहां तक सम्भव हो करेला खाने से बचें. इस माह में शरीर को ढक कर रखें. आश्विन में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए. प्याज-लहसुन या तामसिक भोजन की जगह सात्विक खाने पर जोर देना चाहिए. मांस या मदिरा पान से भी परहेज करें.

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आश्विन मास में कैसे करें पूजा-पाठ?
इस महीने सूर्य उपासना बहुत लाभकारी होती है. पहले कृष्ण पक्ष में पितरों की उपासना करें. पिंडदान करें और दान-धर्म के कार्यों पर जोर दें. वहीं, शुक्ल पक्ष में देवी की उपासना करें. इस दौरान अगर सप्तशती का पाठ कर सकें तो और भी अच्छा होगा. इस पूरे महीने में पौधे लगाना भी बहुत शुभ माना जाता है.

 

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