सूर्य की उपासना का पर्व मकर संक्रांति इस बार दो दिन का माना जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पौष मास में जब सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर राशि पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है.
सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है.
मकर संक्रांति को केरल में माघ बिहू, हिमाचल में माघ साजी, जम्मू में उत्तरायण, हरयाणा में सरकट, तमिलनाडू में पोंगल, बिहार में दही चुड़ा, ओडिशा में मकर संक्रांति, उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है.
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है. इस दिन तिल खिचड़ी गुड़ का दान किया जाता है. वहीं, प्रयागराज के संगम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है.
कड़ाके की सर्दी के बाद भी आस्था का सैलाब संगम की तरफ त्रिवेणी के पावन जल में डुबकी लगाने के लिए अपने को रोक नहीं पा रहा है .
हालांकि, आज कोहरा नहीं है लेकिन सर्द हवाएं चल रही हैं फिर भी ठंड और शीतलहर श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई असर नहीं डाल पा रही है.