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Shani Jayanti 2025: शनि जयंती पर आज बनने जा रहे हैं ये महासंयोग, जानें पूजन का शुभ मुहूर्त और उपासना विधि

Shani Jayanti 2025: शनि जयंती 27 मई यानी आज मनाई जा रही है. हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, कुछ लोग शनि जयंती के दिन शनिदेव के लिए व्रत भी रखते हैं. साथ ही, शनि जयंती पर कई शुभ योग और संयोग बन रहे हैं.  

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शनि जयंती 2025
शनि जयंती 2025

Shani Jayanti 2025: हिंदू धर्म में शनि जयंती के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. इस दिन शनि देव की विधिवत पूजा करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि जंयती साल में दो बार मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 27 मई यानी आज मनाई जा रही है. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहते हैं अर्थात यह व्यक्ति के उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं. जिन लोगों के कर्म अच्छे होते हैं उन्हें शनिदेव से डरने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं होती है. मान्यताओं के अनुसार, कुछ लोग शनि जयंती के दिन शनिदेव के लिए व्रत भी रखते हैं. 

शनि जयंती शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2025 Shubh Muhurat)

शनि जयंती पर अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई यानी कल दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर हो चुकी है और यह तिथि समाप्त होगी 27 मई यानी आज सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगी. 

शनि जयंती शुभ संयोग (Shani Jayanti 2025 Shubh Sanyog)

ज्योतिष गणना के मुताबिक, आज शनि जयंती पर कई शुभ योग और संयोग बन रहे हैं, जो इसे और भी अधिक फलदायी और शुभ बना रहे हैं. 

दरअसल, आज शनि जयंती पर सर्वार्थ सिद्धि योग के अलावा सुकर्मा और धृति योग बन रहा है. इस दिन सुकर्मा योग सुबह से लेकर रात 10 बजकर 54 मिनट तक है. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि में द्विपुष्कर योग यह योग 28 मई की सुबह 5:02 से 5:25 बजे तक रहेगा. इस योग में किया गया कार्य दो बार फल देता है.

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शनि जयंती पूजन विधि (Shani Jayanti Pujan Vidhi)

शनि जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद शनि मंदिर जाएं और शनि देव को सरसों के तेल अर्पित करें. फिर, शनि देव को काले रंग के वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद उन्हें काला तिल, उड़द दाल और लोहा चढ़ाएं और हो सके तो  गरीब लोगों को जूते, छाते या फिर कपड़े का भी दान कर सकते हैं. 

शनि जयंती कथा (Shani Jayanti katha)

सूर्य देव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा के साथ हुआ था. सूर्य देव की तीन संताने हैं मनु, यमराज और यमुना. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार संज्ञा ने अपने पिता दक्ष से सूर्य के तेज से होने वाली दिक्कत के बारे में जिक्र किया. तब राजा दक्ष ने अपनी पुत्री की बात पर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि तुम अब सूर्य देव की अर्धांगिनी हो. पिता के ऐसा कहने पर संज्ञा ने अपने तपोबल से अपनी छाया को प्रकट किया और इनका नाम सवर्णा रखा. आगे चलकर सूर्य देव की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ.

शनि देव का वर्ण बेहद ही श्याम था. जब सूर्य देव को इस बात का पता चला कि सवर्णा उनकी अर्धांगिनी नहीं हैं तो सूर्य देव ने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया. इससे शनि देव कुपित हो गए और उनकी दृष्टि सूर्य देव पर पड़ी जिसकी वजह से सूर्य देव काले पड़ गए और पूरे ही संसार में अंधकार छाने लगा. परेशान होकर सूर्य देवता भगवान शिव के पास गए. तब भगवान शिव ने उन्हें छाया से क्षमा मांगने को कहा तब सूर्य देव ने छाया से क्षमा मांगी और तब जाकर वे शनि के क्रोध से मुक्त हुए.

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