Mohini Ekadashi 2025: हिंदू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित करने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाए गए हैं. तमाम व्रत और उपवासों में सबसे ज्यादा महत्व एकादशी का है. एकादशी महीने में दो बार पड़ती है. शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी. वैशाख मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है, इस एकादशी से मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. गंभीर रोगों से रक्षा होती है और खूब नाम, यश मिलता है. इस एकादशी के उपवास से मोह के बंधन नष्ट हो जाते हैं , इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहते हैं. भावनाओं और मोह से मुक्ति की इच्छा रखने वालों के लिए वैशाख की एकादशी विशेष महत्वपूर्ण है. मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के राम स्वरूप की उपासना की जाती है.
आज मोहिनी एकादशी है. यह एकादशी पापों से मुक्ति और पुण्य दिलाने वाली होती है. इसी तिथि में श्रहरि ने मोहिनी रूप धारण किया था. मोहिनी अवतार लेकर भगवान विष्णु ने यह संदेश दिया कि जब-जब धर्म पर संकट आएगा. वो किसी न किसी रूप में रक्षा के लिए जरूर प्रकट होंगे.
मोहिनी एकादशी व्रत के लाभ
व्यक्ति की चिंताएं और मोह-माया का प्रभाव कम होता है. ईश्वर की कृपा का अनुभव होने लगता है. पाप का प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है. दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहता है. विधिवत व्रत और उपासना से गौदान का पुण्य फल प्राप्त होता है.
मोहिनी एकादशी की पूजन विधि
एकादशी व्रत पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु या उनके अवतारों की पूजा की जाती है. प्रभु श्री राम को पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. भगवान राम का ध्यान करें और उनके मन्त्रों का जप करें. जलीय आहार या फलाहार लें तो व्रत का उत्तम फल मिलेगा. अगले दिन सुबह किसी निर्धन को एक वेला का भोजन या अन्न का दान करें. मन को ईश्वर में लगाएं
मोहिनी एकादशी के महाउपाय
अपनी उम्र के बराबर हल्दी की साबुत गांठ पीले फलों के साथ भगवान विष्णु के मंदिर में अर्पण करें. विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करें पाठ के बाद फलों को जरूरतमंद लोगों में बाट दें. हल्दी की गांठों को कपड़े में लपेट कर धन रखने के स्थान पर रखें.