'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद राजस्थान के पाकिस्तान से सटी सीमा पर बसे सम इलाके में उत्साह का माहौल है. 70 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले सम इलाके के लोग भारत की कार्रवाई से खुश हैं और सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
सम के निंबा गांव के लियाकत अली ने कहा, ''आतंकियों पर एयर स्ट्राइक बहुत अच्छा कदम है. हमारा समुदाय सेना के साथ काम करता है. 1965 और 1971 की लड़ाइयों में हमने सेना को ऊंट और रास्ते उपलब्ध कराए थे. इस बार भी तैयार हैं.''
वहीं, सम के सरपंच करीम खान ने कहा, ''हम पूरी तरह हिंदुस्तानी फौज के साथ हैं. सरकार ने आतंकियों को मारकर सराहनीय काम किया. एक अन्य स्थानीय निवासी मठार खान ने कहा ''पाकिस्तानी सेना के खिलाफ हम तैयार हैं. गांव में कोई डर नहीं, बल्कि लड़ने का जोश है. सेना का हर फैसला मंजूर है.''
स्थानीय लोग आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाई को ऐतिहासिक बता रहे हैं और सेना को हर संभव सहयोग देने को तैयार हैं.
पूर्व सैनिक भी लड़ने तैयार
राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले पूर्व सैनिकों ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा कि हम फिर से सीमा पर लड़ने के लिए तैयार हैं. 1971 के युद्ध में सरकार ने हमें हथियार उपलब्ध कराए थे और हमने मुकाबला किया था. इस बार भी सरकार हमें हथियार दे. सीमावर्ती लोगों का जोश चरम पर है और वे किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.
बुजुर्गों ने कहा कि 1971 के युद्ध में हम बंकर बनाकर रहते थे. सायरन बजते ही बत्तियां बंद कर देते थे. उस समय दुश्मन ने हमारे इलाके में आकर बमबारी की थी, लेकिन बाद में हम 100 किलोमीटर तक अंदर घुस गए थे.
सीमावर्ती लोगों का मानना है कि इस बार आर-पार की लड़ाई हो. हमने 1971 के युद्ध में देखा कि सिविलियनों ने लड़ाई लड़कर सेना को जीत दिलाने में मदद की थी.