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'मेरे दो ही बच्चे थे... दोनों चले गए, अब आंगन सूना है...' दहाड़ें मारकर बिलखती रही मां, झालावाड़ हादसे की दर्दनाक कहानी

झालावाड़ के एक छोटे से गांव में कुछ दिन पहले तक एक मां के आंगन में बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी. भाई-बहन की मासूम हंसी और शरारतों से भरा वह घर अब सन्नाटे से भरा पड़ा है. दरअसल, शुक्रवार को स्कूल की जर्जर इमारत ढह गई और मां की दुनिया उजड़ गई. उसके दोनों बच्चे मलबे में दबकर इस दुनिया को अलविदा कह गए.

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झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चे को खो चुकी मां बिलख पड़ी. (Photo: PTI)
झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चे को खो चुकी मां बिलख पड़ी. (Photo: PTI)

राजस्थान के झालावाड़ के एक छोटे से गांव में कुछ दिन पहले तक हंसी-ठिठोली और खिलखिलाती आवाजों से गूंजता एक आंगन था, जो आज गहरे सन्नाटे में डूबा है. वहां दो मासूम भाई-बहन मीना और कान्हा खेलते, हंसते और मां के सामने जिद करते थे, आज उन दोनों की मां अकेली उदास आंसू बहाते हुए बैठी है... निःशब्द, विह्वल और टूट चुकी.

'मेरे तो दो ही बच्चे थे... एक बेटा और एक बेटी. दोनों चले गए. अब घर सूना है, आंगन सूना है... भगवान मुझे ही उठा लेता, बच्चों को बचा लेता...' यह शब्द उस मां के हैं, जो कल शुक्रवार को हुए स्कूल हादसे में अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा सहारा खो चुकी है.

एजेंसी के अनुसार, शुक्रवार की सुबह झालावाड़ के पिपलोड सरकारी स्कूल में कक्षा 6 और 7 के बच्चे सुबह प्रार्थना के लिए जमा हुए थे. उसी दौरान अचानक स्कूल की बिल्डिंग का एक हिस्सा भरभरा कर गिर गया. सब कुछ पलक झपकते हुआ. मलबे के नीचे 35 से अधिक बच्चे दब गए, जिनमें 28 घायल हुए और सात मासूमों की मौके पर ही जान चली गई.

मासूमों की लाशें, अस्पताल और मातम

शनिवार की सुबह झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल में मॉर्च्युरी के बाहर मातम पसरा था. रोती-बिलखती मांओं की चीखें आसमान चीर रही थीं. कुछ माताएं अपने बच्चों के शवों से लिपटी बैठी थीं, उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं थीं, तो कुछ स्तब्ध थीं... शायद अभी भी यकीन नहीं कर पा रही थीं कि उनका लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा.

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Jhalawar school collapse tragedy
बच्चों के अंतिम संस्कार के दौरान बिलख पड़ीं माताएं. (Photo: PTI)

उन सात बच्चों में 6 साल का कान्हा और उसकी 12 साल की बहन मीना भी शामिल थे. तीन अन्य बच्चों के साथ दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर किया गया. बाकी दो बच्चों की अंत्येष्टि अलग की गई.

इस दर्दनाक त्रासदी का जिम्मेदार कौन?

इस हादसे ने न सिर्फ उन सात परिवारों को जिंदगीभर का दर्द दिया, बल्कि राजस्थान की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. एक और मां, जिसने अपने इकलौते बेटे को खोया, गुस्से में सवाल कर रही थी- टीचर कहां थे जब दीवार गिरी? बच्चों को अकेला क्यों छोड़ा गया? बाहर क्या कर रहे थे वो?

यह भी पढ़ें: बच्चे कहते रहे छत गिर रही, टीचर ने धमकाकर बैठा दिया! झालावाड़ स्कूल हादसे में बड़ा खुलासा, 5 टीचर और एक अधिकारी सस्पेंड

स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर थी. कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया. जब ये हादसा हुआ, उसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. गुराड़ी चौराहे और एसआरजी अस्पताल के बाहर भारी प्रदर्शन हुआ. पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा. इसी दौरान एक पुलिसकर्मी घायल भी हो गया.

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स्कूल की छत गिरने के बाद बिखरा पड़ा मलबा. (File Photo: PTI)

सरकार ने क्या एक्शन लिया और क्या ऐलान किए?

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घटना के बाद राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री मौके पर पहुंचे. उन्होंने प्रत्येक पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की. साथ ही, गांव में नया स्कूल भवन बनवाने का वादा किया. झालावाड़ के कलेक्टर अजय सिंह ने कहा कि पांच स्कूल कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और हाई लेवल की जांच बैठा दी गई है.

कलेक्टर ने कहा कि जरूरत पड़ी तो एफआईआर दर्ज होगी और निलंबन को बर्खास्तगी में बदला जाएगा. प्रशासन की ओर से हर संभव सहायता दी जा रही है और अगले 10 दिनों में अधिकतम आर्थिक मदद पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

मलबे के बीच बिखरे पड़े थे जूते, किताबें और टूटी स्लेट

घटना के बाद गांव के लोगों ने खुद राहत और बचाव कार्य शुरू किया. हाथों से मलबा हटाकर बच्चों को बाहर निकाला गया. बच्चों के बैग, किताबें, टूटी हुई स्लेट और छोटे-छोटे जूते मलबे के बीच बिखरे पड़े थे. 

प्रशासन ने सभी स्कूलों की बिल्डिंगों का जायजा लेने के आदेश दिए हैं. शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जब तक किसी स्कूल की इमारत पूरी तरह सुरक्षित न हो, बच्चों को क्लास में न भेजा जाए. लेकिन उनका क्या, जिन्होंने अपने लाल खो दिए? जिनकी गोद सूनी हो गई, जिनका घर अब खेल-कूद की आवाज से नहीं, सन्नाटे और आंसुओं से भरा है?

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