
गुलाबीनगरी जयपुर पर्यटन नगरी के तौर पर विश्व पटल पर ख्याति प्राप्त है. यहां एडवेंचर और ट्रैकिंग के लिए सबसे मशहूर अरावली पर्वतमाला से गिरी हुई नाहरगढ़ की पहाड़ी है. लेकिन बीते 5 दिनों से यह पहाड़ी जयपुर पुलिस के लिए एक अबूझ पहली बना हुआ है, जिसे सुलझाने के लिए पुलिस इसी पहाड़ी के जंगलों में दिन-रात डेरा डाले हुई है. सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि आसमान से हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद से भी पुलिस घने जंगलों में सर्च ऑपरेशन चला इस अनसुलझी गुत्थी को सुलझाने में जुटी है...ऐसा क्या इस पहाड़ी में जिसने जयपुर पुलिस की नींद उड़ा रखी है? आइए जानते हैं...
तारीख- 1 सितंबर 2024. दिन- रविवार. समय- सुबह के करीब 6 बजे. स्थान- जयपुर का शास्त्रीनगर. यहां रहने वाले दो सगे भाई राहुल पाराशर (23 साल) और आशीष पाराशर (19 साल) एडवेंचर और ट्रैकिंग के इरादे से घर से नाहरगढ़ पहाड़ी के लिए निकले थे. रास्ता सुनसान और जंगली था लेकिन दोनों धीरे-धीरे पहाड़ी की ओर बिना डरे बढ़ते रहे. घर पर चरण मंदिर का कहकर दोनों भाई निकले थे लेकिन अचानक रास्ता भटक गए. रास्ता तलाशते-तलाशते दोनों भाई फिर बिछड़ भी गए. घने पेड़ों से घिरी पहाड़ियों पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या के चलते दोनों इतना दूर जा चुके थे कि वापस ही नहीं मिले. इसके कुछ देर बाद छोटे भाई आशीष ने जैसे-तैसे करीब 12 बजे घर पर संपर्क किया और भाई से बिछड़ने की सूचना की. इसके थोड़ी देर बाद बड़े भाई राहुल ने भी परिजनों से संपर्क साधा और आशीष से बिछड़ने की बात दोहराई. फिर क्या था? परिजनों की चिंता बढ़ने लगी और उन्होंने पुलिस से संपर्क किया.
इसके लिए परिजन पहले शास्त्रीनगर थाने पहुंचे लेकिन वहां से उन्हें ब्रह्मपुरी थाने भेज दिया गया. काफी समय तक पीड़ित परिजन दो पुलिस थानों की सीमा रेखा के बीच उलझते रहे. इसके बाद मामला डीसीपी के संज्ञान में आया तो उन्होंने तुरंत सिविल डिफेंस की टीम मौके पर भेजी.
इसके बाद, रविवार देर शाम से जयपुर की नाहरगढ़ पहाड़ियों पर पुलिस दोनों लापता भाइयों की तलाश में जुट गई. इसके बाद अगले दिन 2 सितंबर को पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर लापता युवकों की तलाश कर रही थी, तब जंगलों में लापता आशीष की डेड बॉडी मिली लेकिन बड़ा भाई राहुल का कोई सुराग नहीं. अब जयपुर पुलिस और सिविल डिफेंस के अलावा SDRF, NDRF के कमांडो ने मोर्चा संभाले हुए और 5 दिन से जंगल को छान मारा, लेकिन राहुल नहीं मिला.
यही नहीं, जयपुर पुलिस के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी लापता होने के मामले में पुलिस को हेलीकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन चलाना पड़ रहा है. इसके अलावा डॉग स्क्वाड, ड्रोन और अन्य तकनीकी संसाधनों से भी पुलिस राहुल की तलाश में रात-दिन एक कर चुकी है, लेकिन पता नहीं लगा कि उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया.

जयपुर एडिशनल पुलिस कमिश्नर कैलाश विश्नोई का कहना है, जिस पॉइंट पर दोनों भाइयों का आपस में संपर्क खत्म हुआ था, वहीं पर आशीष की लाश मिली. इससे पहले, आशीष ने भी अपने मोबाइल से कई बार राहुल को कॉल किया, लेकिन संपर्क नहीं हुआ. अब पुलिस राहुल की तलाश में घने जंगल में तलाशी अभियान में लगी है. साथ ही तकनीकी बिंदुओं और उसके दोस्ती-यार जैसे हर एक पहलू पर पुलिस काम कर रही है. लेकिन परिजनों का आरोप है कि यदि समय रहते पुलिस जाग जाती तो आज आशीष जिंदा होता और राहुल लापता नहीं होता.

हालांकि, पुलिस के लिए छोटे भाई आशीष की मौत जितनी रहस्य बनी हुई है, उससे कहीं ज्यादा बड़े भाई राहुल के लापता होने की मिस्ट्री पुलिस के गले नहीं उतर रही. हालांकि, पुलिस राहुल की तलाश में जरूर जुटी है, लेकिन लगता है कि इस मामले में जरूर कुछ है जो पुलिस से छूट रहा है.
इसके लिए जयपुर पुलिस ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है, जो दूसरे एंगल से भी पूरे केस की जांच में जुटी है. SIT टीम ने मृतक आशीष और राहुल के मोबाइल की कॉल डिटेल निकाली है, जो बड़े राज उगल सकती है.

जानकारी के मुताबिक, दोनों भाई आशीष और राहुल एक ही फाइनेंस कंपनी में जॉब करते थे और घटना से पहले उनकी किसी लड़की से बातचीत भी हुई थी. हालांकि, वो लड़की कौन है और उसका क्या रिश्ता है? इसका अभी पटाक्षेप नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस को संदेह है कि इस मामले में कुछ लव एंगल भी हो सकता है और यह भी कहा जा रहा है कि दोनों के बीच लव ट्रायंगल को लेकर भी विवाद हो सकता है.
यही नहीं, आशीष की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर के पिछले हिस्से में अंदरूनी भाग में चोट के निशाने मिले हैं, लेकिन पुख्ता तौर पर पता नहीं चला है कि आशीष की मौत हादसे से हुई या फिर उसकी हत्या की गई है? लिहाजा, पुलिस हर एक पहलू को ध्यान में रखते हुए जांच पड़ताल जरूर कर रही है. लेकिन दोनों भाइयों की गुत्थी सुलझाना जयपुर पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.