कोटा जिले में बाल विवाह की रोकथाम को लेकर कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी ने सख्त आदेश जारी किए हैं. 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया और पीपल पूर्णिमा जैसे अबूझ सावे के मौके पर संभावित बाल विवाहों की आशंका को देखते हुए यह निर्देश जारी किए गए हैं. आदेश के अनुसार अब शादी के निमंत्रण पत्र में वर और वधू की जन्मतिथि या वास्तविक आयु का स्पष्ट उल्लेख करना अनिवार्य होगा. इसके लिए निमंत्रण पत्र छापने वाले मुद्रकों और संचालकों को वर-वधू के आयु प्रमाण पत्र प्राप्त कर कार्ड में उनका उल्लेख करना होगा.
इसके अलावा कार्ड में यह भी स्पष्ट रूप से लिखा जाना अनिवार्य होगा कि 'विवाह के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष होना आवश्यक है' केवल यही नहीं, टेंट लगाने वाले, हलवाई, बैंड बाजा वाले, लाइट डेकोरेशन वाले, डीजे संचालक और विवाह स्थल (मैरेज गार्डन) के मालिक एवं प्रबंधकों को अपने कार्यस्थल पर बड़े अक्षरों में यह संदेश प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है कि 'बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है' और 'विवाह के लिए लड़की की आयु 18 और लड़के की 21 वर्ष होनी चाहिए'.
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निगरानी के लिए अधिकारियों की बनाई गई टीम
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन स्थानों पर बाल विवाह की आशंका हो, वहां पर निगरानी के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों की टीम बनाई गई है. ये दल अपने कार्यक्षेत्र में भ्रमण कर यह सुनिश्चित करेंगे कि कहीं कोई बाल विवाह न हो रहा हो. यदि किसी घर पर विवाह की तैयारियों के संकेत जैसे रंगाई-पुताई, भित्तिचित्र, बच्चों की स्कूल से अनुपस्थिति, या बैंड, ढोल, पंडित, वाहन बुकिंग आदि जैसी गतिविधियां दिखती हैं, तो संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि विवाह नाबालिग वर-वधू का तो नहीं है.
बाल विवाह की आशंका होने पर तुरंत उपखंड मजिस्ट्रेट, कार्यपालक मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) या नजदीकी थाने को सूचना देना आवश्यक होगा. इस आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन ने अक्षय तृतीया जैसे बड़े धार्मिक अवसरों पर बाल विवाह जैसी कुप्रथा पर रोक लगाने के लिए यह कठोर कदम उठाया है.