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फर्जी थी अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश! सचिन पायलट को हाईकोर्ट से मिली क्लीन चिट

2020 में राजस्थान की गहलोत सरकार द्वारा सचिन पायलट पर लगाए गए सरकार गिराने और रिश्वतखोरी के आरोप अब फर्जी साबित हुए हैं. एसओजी और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की जांच में कोई सबूत नहीं मिला, जिससे राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार गिराने की साज़िश मामले में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दी (File Photo: PTI)
राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार गिराने की साज़िश मामले में सभी आरोपियों को क्लीन चिट दी (File Photo: PTI)

साल 2020 में राजस्थान की गहलोत सरकार ने सचिन पायलट पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकार गिराने की साज़िश रची थी. इसके लिए पहले एसओजी और बाद में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में मामला दर्ज कराया गया था. अब एंटी करप्शन ब्यूरो ने इसे फर्जी मानते हुए कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाख़िल कर दी है, जिसे राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस फैसले के बाद सभी आरोपियों को क्लीन चिट मिल गई है.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी कहा कि निर्दलीय विधायक रमीला खड़िया को पैसे देकर खरीदने की कहानी भी पूरी तरह ग़लत निकली. मामले के आरोपी उदयपुर निवासी भरत सिंह आर और ब्यावर निवासी भारत मालानी ने राजस्थान हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिलने पर कहा कि उन्हें गहलोत सरकार ने जानबूझकर सचिन पायलट को बदनाम करने के लिए फंसाया था. सचिन पायलट ने भी कहा कि उन्होंने अभी कोर्ट के फैसले की आधिकारिक जानकारी नहीं ली है, लेकिन अगर मामला गलत पाया गया है तो यह सही है.

मामला 10 जुलाई 2020 का है, जब राजस्थान के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने भरत मालानी और अशोक सिंह को गिरफ्तार किया था. उन पर सरकार गिराने की साज़िश का मुक़दमा दर्ज किया गया था. बाद में सचिन पायलट को भी आरोपी बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने बगावत की थी.

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जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपियों की फोन रिकॉर्डिंग से कोई राजनीतिक गतिविधि या रिश्वत देने या विधायक खरीदने का मामला नहीं बनता. रिकॉर्डिंग में सामान्य राजनीतिक बातचीत, सट्टेबाज़ी, जुआ, महिलाओं की बातचीत और निजी बातें सुनाई देती हैं. बैंक खातों की जांच में किसी भी बड़ी राशि के आने या जाने का सबूत नहीं मिला. किसी विधायक ने कभी यह नहीं बताया कि आरोपियों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की.

गहलोत सरकार ने आरोप लगाया था कि दोनों मिलकर विधायकों को प्रलोभन दे रहे थे. मुक़दमे में कहा गया था कि एसओजी तस्करों के नेटवर्क का खुलासा करने के लिए टेलीफोन टेप कर रहे थे, और इसी दौरान यह पता चला कि सरकार गिराने की साज़िश की जा रही है.

स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने 8 अगस्त 2020 को कहा कि मामला उनके क्षेत्राधिकार में नहीं आता, इसलिए आरोपियों को छोड़ दिया. लेकिन 9 अगस्त 2020 को भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद पूर्व मंत्री महेश जोशी ने फिर से इसी मामले में मुक़दमा दर्ज करवाया.

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