बात सिर्फ जुबानी जंग की नहीं है. इस दौर में बात खामोशी की भी है. एक दौर में तीन इक्के संघ परिवार के आज के दौर में खामोश क्यों है. और जिस तरीके से 24 तारीख को 117 सीटों पर वोटिंग होनी है. क्या उसके लिए कोई खास रणनीति है.