'निर्भया' से लेकर 'गुड़िया' तक दिल्ली की स्थिति और भी बदतर हो गई है. उस 'गुड़िया' का दर्द ये चीख-चीख कर बता रहा है दिल्ली में बेटियां आज भी महफूज नहीं. न बेटियों को लेकर सोच बदली, न पुलिस का रवैया बदला. तो सवाल है कि क्या खाक बदला?