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नीतीश कुमार के प्रति तेजस्वी यादव के बदलते रुख का असली मकसद क्या है?

बिहार में बढ़ते अपराध और पटना में कारोबारियों की हत्या पर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री को घेरते दिखे हैं, लेकिन INDIA ब्लॉक की मीटिंग में वो गठबंधन के नेताओं को नीतीश कुमार के प्रति नरम रुख बनाये रखने की सलाह दे रहे हैं - मामला ईबीसी वोट बैंक का है, या तेजस्वी को फिर से नीतीश की वापसी की उम्मीद है?

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तेजस्वी यादव क्या बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को लेकर किसी अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं? | Photo: PTI
तेजस्वी यादव क्या बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को लेकर किसी अलग रणनीति पर काम कर रहे हैं? | Photo: PTI

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम मुद्दों को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के निशाने पर हैं. सूबे की गिरती कानून व्यवस्था ने हमले का अलग से मौका दे दिया है. पटना में व्यापारी विक्रम झा की गोली मार कर हत्या कर दिये जाने के बाद तेजस्वी यादव ज्यादा ही आक्रामक हो गये हैं. 

पटना में 10 दिन के भीतर तीन कारोबारियों की हत्या कर दी गई है. विक्रम झा की हत्या का मामला सोशल मीडिया पर उठाते हुए पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को 'अचेत मुख्यमंत्री' करार दिया है. साथ में तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर भी हमला बोला है. 

सोशल साइट X पर तेजस्वी यादव लिखते हैं, 'पटना में व्यवसायी विक्रम झा की गोली मारकर हत्या! DK Tax तबादला उद्योग प्रदेश की अराजक स्थिति का मुख्य कारण... अचेत मुख्यमंत्री क्यों है मौन? प्रतिदिन हो रही सैंकड़ों हत्याओं का दोषी कौन? भ्रष्ट भूजा पार्टी जवाब दे.'

नीतीश कुमार के खिलाफ तेजस्वी यादव का ये रुख काफी दिनों से देखा जा रहा है. 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले जब नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में लौट गये थे, काफी दिनों तक तेजस्वी यादव कभी सीधे सीधे नीतीश कुमार को निशाना नहीं बना रहे थे. देखा गया है कि धीरे धीरे तेजस्वी यादव का स्टैंड बदलता जा रहा है.

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लेकिन, INDIA ब्लॉक की हाल की एक मीटिंग से जो खबर आई है, उससे तेजस्वी यादव की अलग ही रणनीति सामने आई है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेजस्वी यादव नहीं चाहते कि महागठबंधन का कोई भी नेता नीतीश कुमार के साथ भी वैसे ही पेश आये जैसे भारतीय जनता पार्टी के साथ. 

तेजस्वी ने नीतीश के खिलाफ स्टैंड क्यों बदला?

महागठबंधन के बिहार चुनाव कैंपेन कमेटी का तेजस्वी यादव नेतृत्व कर रहे हैं, और चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए कई बैठकें हो चुकी हैं. लेटेस्ट बैठक 6 घंटे चली, लेकिन महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. बैठक में महागठबंधन के बड़े नेता मौजूद थे, तब भी बात नहीं बनी. बैठक में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और लेफ्ट दलों के नेता भी मौजूद थे.

इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से खबर दी है कि नीतीश कुमार के प्रति तेजस्वी यादव की रणनीति क्या है. मीडिया के सूत्रों की बात पर तो बिहार में अलग ही बवाल मचा हुआ है. एक प्रेस कांफ्रेंस में चुनाव आयोग की बात पर सूत्रों का जिक्र आने पर तेजस्वी यादव बिफर पड़े थे. 

खबर है, महागठबंधन के साथी दलों के बड़े नेताओं के साथ बैठक में नीतीश कुमार को लेकर खास तौर पर आगाह किया. एक सीनियर नेता के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है, तेजस्वी यादव ने INDIA ब्लॉक के नेताओं से गुजारिश की है, वे लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे हमले न करें - बल्कि नीतीश कुमार के प्रति 'नरम रुख' अपनाएं. हां, तेजस्वी यादव चाहते हैं कि नीतीश कुमार की जगह मुख्य रूप से बीजेपी के नेताओं को निशाना बनाया जाना चाहिए.

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नीतीश पर नरम रुख क्यों चाहते हैं तेजस्वी यादव?

जिस नेता ने मीडिया को तेजस्वी के इस रुख के बारे में बताया है,  उसने अपनी तरफ से वजह भी समझाई है. नेता के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है, ये धारणा है कि नीतीश कुमार अब भी EBC के बड़े वोट बैंक के नेता हैं, जो बिहार की 36 फीसदी से ज्यादा आबादी के साथ सबसे बड़ा वोट बैंक है. महागठबंधन के नेता का मानना है कि नीतीश कुमार को निशाना बनाकर इंडिया ब्लॉक को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है. और, एक वजह नीतीश कुमार की गिरती सेहत भी हो सकती है - लेकिन, नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव की तरफ से 'अचेत मुख्यमंत्री' बताया जाना इस पैमाने पर तो खरा नहीं उतर रहा है. 

बेशक नीतीश कुमार ने अपने सपोर्ट में एक बड़ा वोट बैंक तैयार कर लिया है. ईबीसी के साथ साथ नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी बचाये रखने में महिला वोट बैंक का भी बड़ा रोल है. और, अपनी बिरादरी का छोटा जनाधार होने के बावजूद लव-कुश समीकरण साधते हुए अति पिछड़ों को अपने पक्ष में खड़ाकर नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाने लगे.

नीतीश कुमार का राजनीतिक जुगाड़ भले ही सर्वाइवल का बेहतरीन मौका मुहैया करा देता हो, लेकिन इस बात से भी कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनकी सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी जबरदस्त है, और 2020 के चुनाव में भी असर महसूस किया जा चुका है - ऐसे में तेजस्वी यादव का नरम रुख यूं ही तो कतई नहीं लगता. 

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कहीं ऐसा तो नहीं कि तेजस्वी यादव को अंदर ही अंदर नीतीश कुमार को लेकर फिर से महागठबंधन में लौटने की कोई नई उम्मीद जगी है?

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