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वो आठ 'हथियार' जिनसे पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ सकता है भारत

भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 से एक सीजफायर समझौता लागू है, जिसका दोनों देशों ने ज्यादातर पालन किया है. लेकिन अब यह समझौता भारत के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है. इस समझौते के कारण कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में शांति तो रही, और भारतीय सेना आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान दे पाई, लेकिन पाकिस्तान को इसका फायदा मिला.

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कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत अब इसका जवाब देने की तैयारी में है
कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत अब इसका जवाब देने की तैयारी में है

पहलगाम में पर्यटकों पर हमले की तारीख 22 अप्रैल 2025 देश के इतिहास में 'ब्लैक डे' के तौर पर दर्ज हो चुकी है. आतंकवादियों ने निर्दोष पर्यटकों की जिस तरीके से निर्मम हत्या की उसने न  सिर्फ देश को सकते में डाल दिया है, बल्कि इसकी आत्मा को भी झकझोर कर रख दिया है. नतीजा... इस भयावह घटना का असर ये है कि इससे उपजा गुस्सा और सदमा भले ही देखने में ठंडे पड़ रहे हों लेकिन असल बात ये है कि ये गुस्सा अब कुछ कर गुजरने के दृढ़ संकल्प में बदल चुका है. 

देश अब आतंकवादियों और उनके समर्थकों को कड़ा सबक सिखाने के लिए तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में ही रद्द कर दिया और देश को आश्वासन दिया कि इस हमले का बदला लिया जाएगा.

प्रारंभिक जांच और उपलब्ध सीमित सबूतों से यह साफ है कि यह कोई स्थानीय आतंकी कार्रवाई नहीं थी. इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के संकेत मिल रहे हैं. 23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई राजनयिक कदमों की घोषणा की गई है, और भविष्य में और कदम उठाए जाने की संभावना है. 24 अप्रैल को बिहार के मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने देश को भरोसा दिलाया और कहा कि, “भारत हर आतंकवादी और उनके समर्थकों को ढूंढ निकालेगा, उनका पीछा करेगा और उन्हें सजा देगा. हम उन्हें दुनिया के किसी भी कोने में नहीं छोड़ेंगे.”

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इस हमले के जवाब में भारत के पास कई विकल्प हैं, जिनमें सैन्य (काइनेटिक) और गैर-सैन्य (नॉन-काइनेटिक) दोनों शामिल हैं. सैन्य विकल्पों में छोटे स्तर की सीमा पार कार्रवाइयों से लेकर पूर्ण युद्ध तक के कदम शामिल हैं. कई विशेषज्ञों ने 2019 के पुलवामा हमले के जवाब में की गई बालाकोट हवाई हमले की तर्ज पर कार्रवाई की सलाह दी है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इस बार इतना करना पर्याप्त होगा? भारत के पास उपलब्ध सैन्य विकल्पों पर डालते हैं एक नजर-

1. सीजफायर समझौते को रद्द करना
भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 से एक सीजफायर समझौता लागू है, जिसका दोनों देशों ने ज्यादातर पालन किया है. लेकिन अब यह समझौता भारत के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है. इस समझौते के कारण कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में शांति तो रही, और भारतीय सेना आतंकवाद विरोधी अभियानों पर ध्यान दे पाई, लेकिन पाकिस्तान को इसका फायदा मिला. उसने नियंत्रण रेखा (एलओसी) से अपनी सेना को हटाकर अफगानिस्तान सीमा और बलूच विद्रोह के खिलाफ भेज दिया. अगर भारत इस सीजफायर को रद्द कर दे, तो पाकिस्तान को मजबूरन एलओसी पर अपनी सेना को फिर से तैनात करना पड़ेगा. इससे उसे अन्य मोर्चों पर नुकसान होगा.

2. आतंकी शिविरों पर हमला
भारतीय खुफिया एजेंसियां हमेशा से एलओसी के पार आतंकी शिविरों और लॉन्च पैड्स की जानकारी देती रही हैं. अब समय आ गया है कि इन शिविरों को निशाना बनाया जाए. जैसे ही इन शिविरों की जानकारी मिले, उन पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. इससे न केवल आतंकवादियों की रणनीति को झटका लगेगा, बल्कि उन्हें घुसपैठ करने में भी मुश्किल होगी. यह पाकिस्तान पर अतिरिक्त दबाव डालेगा.

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3. टारगेटेड किलिंग
लक्षित हत्याएं (टारगेटेड असैसिनेशन) बदले की एक पुरानी और प्रभावी रणनीति है, जिसमें इजरायल सबसे आगे है. इजरायल ने हमास नेता इस्माइल हानियेह को तेहरान में और हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था. पाकिस्तान के मामले में भी इस रणनीति का इस्तेमाल हो सकता है. पाकिस्तानी सेना के प्रमुख अधिकारियों या लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के नेताओं को निशाना बनाया जा सकता है. आधुनिक निगरानी तकनीक और टारगेटिंग सिस्टम की मदद से अब इसके लिए किसी एजेंट को मौके पर भेजने की भी जरूरत नहीं है.

4. मिसाइल हमले
भारत के पास मिसाइलों का एक शक्तिशाली जखीरा है, जिसमें पृथ्वी और अग्नि जैसी सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं. ये मिसाइलें पूरे पाकिस्तान को निशाना बना सकती हैं. भारत इन मिसाइलों को मोबाइल लैंड प्लेटफॉर्म से लॉन्च कर सकता है, जिससे हमले में आश्चर्य का तत्व बना रहेगा. इसके अलावा, भारत के पास हवा और समुद्र से मिसाइल दागने की क्षमता भी है. हाल ही में भारत ने हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित की हैं, जो मैक 5 की गति से चलती हैं और जिन्हें कोई भी मिसाइल रक्षा प्रणाली रोक नहीं सकती.

5. ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति में बदलाव
भारत की वर्तमान परमाणु नीति ‘नो फर्स्ट यूज’ (पहले इस्तेमाल नहीं) पर आधारित है. इसका मतलब है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. इस नीति के कारण पाकिस्तान को यह भरोसा है कि उसे भारत से पहले परमाणु हमले का डर नहीं है. अगर भारत इस नीति में बदलाव करता है, तो यह अपने आप में एक बड़ा डर पैदा करेगा. खासकर तब, जब भारत ने अपनी परमाणु त्रिकोणीय क्षमता (न्यूक्लियर ट्रायड) पूरी कर ली है, यानी वह जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु मिसाइल दाग सकता है.

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6. शिमला समझौते को रद्द करना
1972 का शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा को वास्तविक सीमा के रूप में मान्यता देता है. हालांकि, पिछले कुछ दशकों में एलओसी का उल्लंघन कई बार हुआ है, लेकिन इसकी पवित्रता को ज्यादातर बनाए रखा गया है. अगर भारत शिमला समझौते और एलओसी पर सीजफायर को रद्द करता है, तो भारतीय सेना को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कुछ रणनीतिक क्षेत्रों पर कब्जा करने का मौका मिल सकता है. इससे भारत को सामरिक लाभ होगा.

7. नौसैनिक नाकाबंदी
पाकिस्तान का ज्यादातर व्यापार समुद्र के रास्ते होता है. अगर भारत अरब सागर में पाकिस्तानी बंदरगाहों की नौसैनिक नाकाबंदी करता है, तो यह एक प्रभावी कदम हो सकता है. उदाहरण के लिए, यमन के हूती विद्रोहियों ने पिछले दो साल से लाल सागर में समुद्री व्यापार को बाधित किया है, और अमेरिका सहित कई देशों की कोशिशों के बावजूद वे रुके नहीं हैं. हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि पाकिस्तानी बंदरगाहों की नाकाबंदी को पूर्ण युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.

8. पूर्ण सैन्य अभियान
यह सबसे बड़ा और जोखिम भरा विकल्प है. इसमें कई बातों पर विचार करना होगा. सबसे पहले, सैन्य अभियान के स्पष्ट और प्राप्त करने योग्य लक्ष्य होने चाहिए. इजरायल का गाजा युद्ध इसका उदाहरण है, जहां दो साल बाद भी इजरायल अपने सैन्य लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाया. पाकिस्तान गाजा नहीं है, और उसकी सेना हमास नहीं. इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियारों से लैस हैं, और पाकिस्तान का परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की दहलीज बहुत कम है. इसलिए, पूर्ण सैन्य अभियान को बहुत सोच-समझकर शुरू करना होगा.

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बालाकोट का सबक और भविष्य की रणनीति
2019 का बालाकोट हवाई हमला इस बात का सबूत था कि भारत ने एलओसी पार करने की अपनी रणनीतिक झिझक को छोड़ दिया है. लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उस एकमुश्त हमले का पाकिस्तान पर ज्यादा असर नहीं हुआ. इसलिए, अब भारत को जो भी रणनीति अपनानी होगी, उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान पर इतना दबाव पड़े कि वह दोबारा पहलगाम जैसी घटना की सोच भी न सके.

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