देश की अर्थव्यवस्था कैसी है? उसे सुधारने के लिए क्या प्रबंध किये जा सकते हैं? अर्थव्यवस्था के मद्देनजर युवा कर्मचारियों की क्या क्या जिम्मेदारियां होनी चाहिए? इन मुद्दों पर देश में रोजाना कहीं न कहीं बैठक, सेमिनार होता है. पॉडकास्ट किये जाते हैं. स्पीकर्स आते हैं. मन की बात कहते हैं. और यहां प्रोडक्टिविटी बढ़ाने से लेकर काम के घंटे ज्यादा करने तक ऐसी तमाम बातें होती हैं जो अत्यधिक कर्मठ और जोशीले कर्मचारियों को तो अच्छी लगती है. मगर उन कर्मचारियों को आहत कर देती है जो इसके पक्षधर हैं कि यदि इंसान दफ्तर में समय दे रहा है, तो उसे उतना ही समय अपने घर पर भी देना चाहिए.
काम और वर्क कल्चर को लेकर हुए ऐसे ही एक पॉडकास्ट ने विवाद खड़ा कर दिया और सोशल मीडिया पर शुरू हुई ये लड़ाई इनफ़ोसिस फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति बनाम कॉमेडियन वीर दास हो गई है.
दरअसल अभी बीते दिनों ही 3one4 कैपिटल के पॉडकास्ट, 'द रिकॉर्ड" के उद्घाटन एपिसोड पर बोलते हुए इनफ़ोसिस फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति नेइस बात पर बल दिया कि जब तक देश के युवा लंबे समय तक काम करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं होते, तब तक भारत उन अर्थव्यवस्थाओं के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए संघर्ष कर सकता है, जिन्होंने पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय प्रगति की है.
आसान शब्दों में समझें तो नारायण मूर्ति यही मानते हैं कि देश और अर्थव्यवस्था तभी सही से चल सकते हैं जब अलग अलग कंपनियों में काम करने वाला युवा अपना पूरा समय दफ्तर को दे. बाकी सारी चीजों से ध्यान हटाकर अपना पूरा फोकस सिर्फ काम पर रखे. इस बात में भी कोई शक नहीं है कि, नारायणमूर्ति ने जो कहा है उसके पीछे उनका इतने सालों का अनुभव है. लेकिन बड़ा सवाल ये भी है कि क्या वास्तव में ये तब संभव है जब हर साल अप्रेजल के नाम पर कंपनियां अपने कर्मचारियों को उतनी ही हाइक देती हैं जितना दाल में नमक होता है.
For that to work, the company should start providing residential occupation in the office itself.
— Politics Jivi (@Politicsjivi) October 27, 2023
I would like my manager to hear toilet flush regularly 😅
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कॉमेडियन वीर दास ने नारायणमूर्ति के दामाद ऋषि सुनक को भी लपेटा है. माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट X (पूर्व में ट्विटर ) पर वीर ने लिखा है कि, जिंदगी कितनी मुश्किल है, आप एक लड़की से मिलते हैं, आपको प्यार होता है, शादी होती है और लड़की के पिता चाहते हैं कि आप सप्ताह में 70 घंटे काम करें. आप इतनी मेहनत कर नहीं सकते और मजे करना चाहते हैं तो आप इंग्लैंड चलाते हैं.'
Life’s hard. You meet a girl, fall in love, get married. Her dad wants you to work 70 hours a week. You can’t work that hard, you just wanna chill and run England.
— Vir Das (@thevirdas) October 27, 2023
इसी मुद्दे पर अपने एक अन्य ट्वीट में वीर दास ने लिखा कि अगर आप सप्ताह के 5 दिन में 70 घंटे काम कर रहे हैं, तो सुबह 9 बजे से रात के 11 बज जाएंगे. 12.30 बजे तक आपका घर आना होगा और सुबह 7.30 बजे तक आप फिर ऑफिस निकल जाएंगे? ऐसे में आपको अपने बॉस के ऑफिस में फार्ट करने का टाइम तो दिया जाना चाहिए. फिर अगर आप किसी रिश्ते में हैं तो इंटीमेसी के लिए भी तो समय चाहिए."
If you’re working 70 hours a week, 5 days a week, essentially from 9am to 11pm. Getting home by 12.30, leave home by 7.30? You should be allowed to fart in your bosses office. If you’re going to request relationship like time commitment, you’ve got to accept the intimacy too.
— Vir Das (@thevirdas) October 27, 2023
यदि हम मूर्ति की बातों को फ़ॉलो करते हैं और अपने काम के घंटे बढ़ा देते हैं तो उसका अंजाम क्या होता इसपर भी वीर ने एक ट्वीट किया है.
Remember when we were young and worked 1764875437 hours a week?
— Vir Das (@thevirdas) October 27, 2023
जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को स्पष्ट कर चुके हैं. कॉमेडियन वीर दास द्वारा मूर्ति की बातों को मुद्दा बनाए जाने के बाद अब इस लड़ाई का पूरा स्वरूप बदल गया है. मूर्ति द्वारा दिए गए इस ज्ञान पर यूजर्स की तरफ से प्रतिक्रियाओं की बरसात हो रही है. जैसा लोगों का रवैया है यूजर्स एक सुर में यही बात कह रहे हैं कि ऐसा करवाने का नारायण मूर्ति का मकसद बस इतना है कि इंसान, इंसान न रहकर एक मशीन में, एक रोबोट में बदल जाए.
Well, apart from corporate leeches becoming fatter every day, this 70 hpw work culture will also help reduce population of India. Win-win situation...
— Vaisakh Radhakrishnan (@VaisakhNR8) October 27, 2023
ऐसा नहीं है कि नारायणमूर्ति की बात सभी को बुरी लगी है. कुछ यूजर्स ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि अगर हमें विश्व गुरु का तमगा चाहिए तो थोड़ी बहुत कुर्बानी हमें देनी ही होगी.
There is nothing wrong in what Narayanmurti is saying, the only addition must be that any extra work after 50th hour should be considered as ABOVE HUMAN CAPACITY (overwork), and minimum double of salary should be paid for each extra hour by the NATIONALISTS Company like #Infosys
— SATYANVESHI (@GreatVikrama) October 27, 2023
एक बड़ी कंपनी का फाउंडर होने के नाते काम के समय पर नारायण मूर्ति ने भले ही अपना पक्ष रख दिया हो. लेकिन वो ये कैसे भूल गए कि, अगर इंसान उनकी बताई बातों को अपने जीवन में लागू कर ले, तो हो सकता है उसके पास पैसा, गाड़ी, बंगला सब हो. लेकिन उनमें रहने वाले लोग हों ये प्रश्न विचारणीय है.
हो सकता है ये कथन सुनने में थोड़ा अटपटा लगे. मगर सच्चाई यही है कि, अगर इंसान ने अपनी दिनचर्या का एक बड़ा हिस्सा अपने दफ्तर को समर्पित कर दिया. तो इससे उसकी पर्सनल लाइफ बुरी तरह प्रभावित होगी. उसके जीवन में एक वक़्त वो जरूर आएगा जब सब कुछ तो होगा उसके पास, लेकिन अकेलापन और उसका वैक्यूम उसकी जिंदगी लील लेगा और ऐसी स्थिति के जिम्मेदार काम के ज्यादा घंटे ही होंगे.