बाढ़ में डूबे मिंटो ब्रिज की फोटो या मुंडका -नांगलाई होते हुए बहादुरगढ़ जाने वाली सड़क जैसी जगहों को देखेंगे तो आप को कई बार ऐसा लग सकता कि पिछले 100 दिनों में कुछ भी तो नहीं बदला है. तो क्या सचमुच दिल्ली की बीजेपी सरकार जो खुद को ट्रिपल इंजन वाली सरकार बोलती है के राज में कुछ काम नहीं हुआ है? शायद ऐसा नहीं है. इसके लिए हमको जाना होगा भूत में. क्योंकि वर्तमान की तुलना भूत से किए बिना हम समझ ही नहीं सकते कि दिल्ली में कुछ काम हुआ या नहीं.
करीब 100 दिन पहले तक देश की राजधानी में आम आदमी पार्टी की सरकार हुआ करती थी. आम आदमी पार्टी ने भी राजधानी में 10 साल के शासन में दिल्ली को लंदन और न्यूयार्क बनाने के दावे किए थे. इस हिसाब से रेखा गुप्ता की सरकार का मूल्यांकन केवल 100 दिन में करना बेमानी ही होगा. उन्हें कम से कम एक साल तो मिलना ही चाहिए. वैसे जनता इतनी बेवकूफ भी नहीं है कि उसे बताना पड़े कि कौन सी सरकार उसके लिए बेहतर है और कौन सी खराब. झूठ बोलने वाले नेताओं को गद्दी से उतारना भी जनता को भली भांति आता है.
दिल्ली में रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 20 फरवरी, 2025 को शपथ ग्रहण करने के बाद 30 मई को अपना 100 दिन पूरा करने जा रही है. इस दिन सीएम अपना रिपोर्ट कार्ड भी पेश करेंगी. 27 वर्षों के बाद दिल्ली में भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है. हम आज सरकार के ऐसे कामों की चर्चा करेंगे जो धरातल पर दिखाई दे रहे हैं . हम उनकी भी बात करेंगे जिनकी जनता को बेसब्री से इंतजार है पर अभी तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा है.
यमुना सफाई और पर्यावरण सुधार
रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री की शपथ लेने के पहले जिस तेज गति से यमुना के पानी में सफाई करने के लिए बड़ी बड़ी मशीनें उतार दी गईं थीं उसके हिसाब से अब तक यमुना को साफ हो जाना चाहिए था. पर ओखला बैराज के नीचे यमुना में झाग और बढ़ गया है. हालांकि रेखा सरकार ने यमुना नदी की सफाई को प्राथमिकता दी है, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है. यमुना को साबरमती रिवरफ्रंट की तर्ज पर विकसित करने का वादा किया गया है, पर इस दिशा में प्रारंभिक सर्वे ही अब तक शुरू हो सके हैं. पर जिस तरह की खबर आ रही है उससे एक उम्मीद बन रही है कि दिल्ली में एक शानदार रिवर फ्रंट बनने जा रहा है. सरकार ने यमुना सफाई के लिए बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो तकनीकी और वित्तीय रूप से जटिल परियोजना को दर्शाता है. यमुना की आरती जैसे प्रतीकात्मक कदम उठाए गए हैं, जो जनता में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है.
ओखला लैंडफिल और कचरा प्रबंधन
ओखला लैंडफिल साइट, जो कभी 60 मीटर ऊंचा कचरे का पहाड़ था, अब सरकार की बायो-माइनिंग तकनीक के कारण 20 मीटर तक कम हो गया है. पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा के अनुसार, 62 एकड़ में फैले इस लैंडफिल के 30 एकड़ को उपयोगी बनाया गया है, और 56 लाख मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया गया है. दिसंबर 2025 तक 30 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त कचरे को हटाने का लक्ष्य है, जिसे अक्टूबर तक पूरा करने की कोशिश हो रही है.
हालांकि यह निराशाजनक है कि दिल्ली सरकार ने लैंडफिल साइटों को साफ करने के लिए नए लक्ष्य तय किए हैं. सरकार का वादा है कि 2027 तक लैंडफिल साइटों का साफ किया जाएगा. जाहिर है कि 27 से 28 और 29 भी हो सकता है. यहां महत्वपूर्ण ये है कि मौजूदा समय केंद्र, दिल्ली सरकार और एमसीडी तीनों जगहों पर भाजपा का शासन है.
सीवर और ड्रेनेज सिस्टम
दिल्ली में जलभराव की समस्या को कम करने के लिए सरकार ने सीवर और नालों की सफाई पर ध्यान दिया है. पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि पिछले 10-20 वर्षों से नालों की सफाई नहीं हुई थी, जिसके कारण बारिश में जलभराव आम था. सरकार ने मुंबई से अत्याधुनिक मशीन मंगवाकर सीवर सफाई शुरू की है, जिससे जल निकासी की व्यवस्था में सुधार हुआ है. मिंटो ब्रिज जैसे जलभराव वाले क्षेत्रों में जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई. सरकार का दावा है कि बारिश में जलभराव जरूर हुआ पर उसे यु्द्ध स्तर पर घंटे भर के भीतर हटा लिया गया. ये सरकार की उपलब्धि हो सकती है. पर विश्व स्तरीय शहर बनाने की ओर इसे पहला कदम भी नहीं माना जाएगा.
पर दिल्ली की सड़कों पर घूमते हुए आपको दिख जाएगा कि काम हो रहा है. दिल्ली के सबसे खराब जगहों में शुमार होने वाले नांगलोई रोड पर सीएम रेखा के शपथ लेने के बाद से ही नाला निर्माण का काम बहुत तेज गति से शुरू हो गया था. यहां बरसात में सड़क डूब जाया करती थी.जाहिर है कि सरकार चिंता कर रही है.
महिलाओं के खाते में अभी नहीं आए 2500 रुपये
दिल्ली चुनाव के दौरान भाजपा ने गरीब परिवार की महिला को हर माह 2500 रुपये वित्तीय सहायता देने का वादा किया था. दिल्ली सरकार ने इस योजना को हरी झंडी दे दी है और इसके लिए 5,100 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित कर दिया है. मतलब इरादा साफ है. पर बजट में राशि के आवंटित होने के बाद भी अभी तक महिलाओं के खाते में पैसा नहीं आया है. जाहिर है कि सरकार को नौकरशाही को कसना होगा. नहीं तो इस तरह सरकार की भी विश्वसनीयता कम जाएगी. गरीब महिला की पेंशन 2500 से 3000 करने और गर्भवती महिलाओं के लिए 21 हजार रुपये की आर्थिक सहायता और 6 पोषण किट के लिए भी 210 करोड़ रुपये का बजट आवंटित है. फिर भी नौकरशाही में सब कुछ उलझा हुआ है.
कुछ और वादे जिनका दिल्ली वासियों को इंतजार है
1-होली पर नहीं मिला मुफ्त गैस सिलिंडर
2-महिलाओं को 500 रुपये में सस्ता सिलिंडर देने का भी वादा भी अभी तक पूरा नहीं हुआ.
3-पांच रुपये में नहीं मिला भरपेट भोजन. जबकि बजट में 100 करोड़ आवंटित हैं.
4-50 हजार सरकारी पदों के लिए विज्ञप्ति का इंतजार
5-10 लाख रुपये का बीमा और 5 लाख रुपये का दुर्घटना कवर पर भी अभी तक बात नहीं हुई .
6- खाली पड़े 50,000 सरकारी पदों को भरने
7- दिल्ली में 41,000 करोड़ रुपये खर्च कर सड़कें बनाने, 15,000 करोड़ रुपये खर्च कर रेलवे लाइन बिछाने और 21,000 करोड़ रुपये खर्च कर हवाई अड्डों को चमकाने जैसे वादों के पूरे होने का इंतजार.