BSF के जवान पूर्णम कुमार शॉ के 20 दिन बाद लौट आने से पूरा परिवार खुश है - शॉ की पत्नी रजनी ने कह रही हैं, ‘अगर प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है.’
पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान से छोड़े जाने के बाद वो अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत लौट आये. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमला हुआ था, और अगले ही दिन बीएसएफ जवान के गलती से बॉर्डर पार कर लेने के कारण पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया था.
पूर्णम की रिहाई के लिए लगातार कोशिशें जारी थीं. कई फ्लैग मीटिंग में भी पाकिस्तानी रेंजर्स पूर्णम शॉ को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुए. फिर बीएसएफ के डीजीपी ने केंद्रीय गृह सचिव को सारी जानकारी दी.
‘मोदी है तो मुमकिन है’
ये स्लोगन तो नहीं, लेकिन रजनी शॉ ने राहत भरी खुशी का इजहार इसी अंदाज में किया है, ‘...अगर प्रधानमंत्री मोदी हैं तो सब कुछ संभव है… जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमला हुआ, 15-20 दिनों के भीतर ऑपरेशन सिंदूर के जरिये हर किसी के सुहाग का बदला लिया… चार पांच दिन बाद मेरे सुहाग को भी वापस ले आये… मैं हाथ जोड़कर दिल से धन्यवाद देना चाहती हूं.’
रजनी शॉ ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘मैं आज बहुत खुश हूं… सुबह एक अधिकारी का फोन आया… मेरे पति ने मुझसे वीडियो कॉल भी की… वो बिल्कुल ठीक हैं… मुझे कहा कि टेंशन मत लो, मैं ठीक हूं.
रजनी शॉ ने बताया कि तीन-चार दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी बात हुई थी. ममता बनर्जी ने आश्वस्त किया था कि पूर्णम शॉ लौट आएंगे, और वो भी वो भी बीएसएफ अधिकारियों से बात कर रही थीं. पूर्णम शॉ पश्चिम बंगाल में हुगली के रिसड़ा गांव के रहने वाले हैं.
बीएसएफ जवान पूर्णम शॉ की पत्नी बोलीं, मुझे सबका साथ मिला, पूरा देश मेरे साथ खड़ा था.
20 दिनों के बाद पाकिस्तान ने बीएसएफ जवान को छोड़ा
फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान पूर्णम शॉ 23 अप्रैल को गलती से पाकिस्तान चले गये थे. पाकिस्तान रेंजर्स ने देखते ही हिरासत में ले लिया था.
पहलगाम हमले के अगले दिन पाकिस्तानी रेंजर्स ने पूर्णम शॉ की दो तस्वीरें फोटो जारी की थीं. एक फोटो में पूर्णम पेड़ के नीचे खड़े थे और उनकी राइफल, पानी की बोतल, बैग जमीन पर पड़े थे. दूसरी फोटो में पूर्णम की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी.
अपने जवान के पकड़े जाने की खबर मिलते ही बीएसएफ के अफसर फौरन मौके पर पहुंच गये. पाकिस्तानी रेंजर्स को बताया गया कि पूर्णम कुछ दिन पहले ही ट्रांसफर होकर आये थे, और उनको जीरो लाइन का पता नहीं था.
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनगर से आई बीएसएफ की 24वीं बटालियन फिरोजपुर के ममदोट सेक्टर में तैनात हुई थी. उस दिन किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गये थे. किसानों की निगरानी के लिए बीएसएफ के दो जवान भी उनके साथ थे. तभी पीके शॉ की तबीयत थोड़ी बिगड़ गई, और वो पास में पेड़ के नीचे जाकर बैठ गये - पेड़ बॉर्डर पार पाकिस्तान में था.