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एअर इंडिया प्लेन क्रैश की ये 5 बातें गलत हो या सही, इन पर चर्चा जरूर होनी चाहिए

सोशल मीडिया पर विमान हादसे को लेकर बहुत तरीके की आशंकाओं पर बातें हो रही हैं. हो सकता है कि इन बातों का इस हादसे से कोई लेना देना न हो. पर उपरोक्त बातें हवा-हवाई तो हैं नहीं. कुछ न कुछ सभी कारणों के पीछे आधार हैं. इस लिए चर्चा तो हर पहलुओं की होनी चाहिए. क्यों कि मामला लोगों की जान से जुड़ा हुआ है.

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एअर इंडिया प्लेन क्रैश के पीछे हर कारणों की जांच होनी चाहिए.
एअर इंडिया प्लेन क्रैश के पीछे हर कारणों की जांच होनी चाहिए.

अहमदाबाद में 12 जून 2025 को एअर इंडिया की उड़ान AI171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर) के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने विमानन जगत में कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना, जो एक अरब उड़ान घंटों में एक बार की दुर्लभ घटना मानी जाती है, से लेकर विमान की तकनीकी खामियों और साइबर हमले की संभावनाओं तक, इस हादसे ने व्यापक चर्चा को जन्म दिया है.

यात्री आकाश वत्स के दावों, साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों की चेतावनियों, और एक कथित पूर्व CIA अधिकारी के वायरल ट्वीट ने इस दुर्घटना को और रहस्यमय बना दिया है. हो सकता है कि इन सब बातों का इस हादसे से कोई लेना देना न हो. पर इतने बड़े हादसे के बाद हर पहलुओं पर चर्चा तो होनी चाहिए. क्यों कि उपरोक्त बातें हवा-हवाई तो हैं नहीं. कुछ न कुछ सभी कारणों के पीछे आधार हैं. 

1- दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना

तमाम विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना अत्यंत दुर्लभ है, जिसकी संभावना एक अरब उड़ान घंटों में एक बार बताई जाती है. ऐसा कैसे और क्यों हुआ इस पर जरूर चर्चा होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके.

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बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर में GE GEnx इंजन उपयोग होते हैं, जिन्हें विश्वसनीय माना जाता है. तमाम रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि इन इंजनों का एक साथ फेल होना 10 लाख में 1 बार की घटना है. कुछ समाचार स्रोत (News18) और विशेषज्ञों ने बर्ड स्ट्राइक को संभावित कारण बताया, क्योंकि अहमदाबाद में पहले भी बर्ड स्ट्राइक की घटनाएं हुई हैं. पर बताया जा रहा है कि बर्ड स्ट्राइक से दोनों इंजन एक साथ बंद नहीं हो सकते.बर्ड स्ट्राइक आमतौर पर एक इंजन को प्रभावित करता है, और दूसरा इंजन विमान को उड़ाने में सक्षम होता है, जैसा कि 2009 के मिरेकल ऑन द हडसन (US Airways फ्लाइट 1549) में देखा गया था.

कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अहमदाबाद में 43°C (100°F) का तापमान इंजन प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है , खासकर फुल टैंक लोडिंग (58,000 लीटर) के साथ.

2-आकाश वत्स ने जो सवाल उठाए

आकाश वत्स ने 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया विमान दुर्घटना (AI171) से पहले उसी विमान में यात्रा के दौरान कुछ तकनीकी खामियों की ओर इशारा किया था. आकाश वत्स ने दावा किया कि दिल्ली से अहमदाबाद की उड़ान के दौरान विमान का एसी ठीक से काम नहीं कर रहा था. उन्होंने कहा कि उड़ान के दौरान एसी का तापमान बार-बार उतार-चढ़ाव कर रहा था, जो असामान्य था. यह सवाल उठाता है कि क्या विमान की कूलिंग सिस्टम या इससे जुड़े अन्य सिस्टम में कोई गंभीर खराबी थी.

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वत्स ने यह भी कहा कि विमान में सीट के सामने लगे इंफोटेनमेंट सिस्टम (टीवी स्क्रीन) और क्रू को बुलाने वाली कॉल बेल काम नहीं कर रहे थे. सवाल ये है कि क्या ये छोटी-मोटी खामियाँ विमान के व्यापक तकनीकी रखरखाव की कमी की ओर इशारा नहीं करती हैं? क्या इस तरह की खामियों को हल्के में लिया जा सकता है? एक कंप्युटर सही तरीके से काम करे इसके लिए एसी की जरूरत होती है. क्या प्लेन के कंप्यूटर को एसी की जरूरत नहीं होती है?

वत्स ने अपने X पोस्ट में उल्लेख किया कि उड़ान के दौरान उन्होंने विमान के फ्लैप्स के पिछले हिस्से में असामान्य ऊपर-नीचे की गतिविधि देखी. यह दावा सवाल उठाता है कि क्या फ्लैप्स की यह गतिविधि टेकऑफ के दौरान दुर्घटना का कारण बनी, क्योंकि विशेषज्ञों ने बताया कि गलत फ्लैप कॉन्फिगरेशन लिफ्ट की कमी का कारण बन सकता है.

3-साइबर हमले से गिराया गया विमान?

रुबेन सांता मार्था, एक साइबर सिक्योरिटी शोधकर्ता, ने 2019 में DEF CON कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुति दी थी, जिसमें उन्होंने बोइंग 787 के इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट सिस्टम (IFE) और अन्य नेटवर्क सिस्टम्स में संभावित कमजोरियों की बात की थी. उन्होंने सुझाव दिया था कि इन सिस्टम्स को हैक करके विमान के कुछ गैर-महत्वपूर्ण कार्यों (जैसे लाइटिंग, सीट कंट्रोल) को प्रभावित किया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि पूरे विमान को क्रैश कराया जा सकता है. उनके शोध में यह भी उल्लेख था कि महत्वपूर्ण सिस्टम्स (जैसे फ्लाइट कंट्रोल) को हैक करना बेहद मुश्किल है, क्योंकि ये सिस्टम्स अलग-थलग (air-gapped) और सुरक्षित होते हैं.

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पर साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों के अनुसार, विमान के नॉन-क्रिटिकल सिस्टम्स (जैसे IFE, वाई-फाई) को हैक करना संभव हो सकता है, लेकिन फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम्स तक पहुंचना बेहद जटिल है. 2015 में क्रिस रॉबर्ट्स नामक हैकर ने दावा किया था कि उन्होंने एक विमान के इंजन कंट्रोल को हैक किया, लेकिन यह दावा विवादास्पद रहा और कोई पुष्टि नहीं हुई.

विमानन से जुड़े साइबर हमले मुख्य रूप से एयरलाइन सिस्टम्स (जैसे बुकिंग, चेक-इन) पर हुए हैं, न कि विमान के कंट्रोल सिस्टम्स पर.2022 में स्पाइसजेट पर रैनसमवेयर हमला हुआ, जिससे उड़ानें बाधित हुईं, लेकिन यह ग्राउंड सिस्टम्स तक सीमित था.

2024 में जापान एयरलाइंस पर साइबर हमला हुआ, जिससे उड़ानें विलंबित हुईं, लेकिन विमान के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

फिर भी यह शोध का विषय है. क्योंकि टेक्नॉलजी हर रोज अपडेट हो रही है. दूसरे इस तरह के भारत जैसे शांतिप्रिय देश के खिलाफ दिन रात षडयंत्र भी कर रहे हैं. 

4-पूर्व सीआईए अधिकारी सारा एडम्स का ट्वीट

सोशल मीडिया पर एक कथित पूर्व CIA अधिकारी सारा एडम्स (Sarah Adams) का ट्वीट वायरल हो रहा है. बताया  जा रहा है कि 9 जून 2025 को यह ट्वीट किया गया. इसके अनुसार अफगानिस्तान में ISI ने भारत पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करने की योजना बनाई है. यह हमला 2-3 दिनों में होने की बात कही गई थी.

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सारा एडम्स एक कथित CIA की पूर्व विश्लेषक हैं, जोश रोगन (Washington Post) जैसे पत्रकारों द्वारा उनकी विशेषज्ञता का उल्लेख किया गया है. उन्होंने अफगानिस्तान और आतंकवाद पर काम किया और किताबें (जैसे Benghazi: Know Thy Enemy) लिखीं. हालांकि, उनके दावों को अक्सर सनसनीखेज माना जाता है, और उनकी जानकारी हमेशा आधिकारिक तौर पर पुष्ट नहीं होती.

 X पर इस ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हुआ, लेकिन असली ट्वीट मिल नहीं रहा है. या तो यह ट्वीट डिलिट कर दिया गया है या फर्जी ट्वीट वायरल किया जा रहा है. जबकि सारा एडम्स का X हैंडल (@TPASarah) एक्टिव है.

5-पायलटों का अनुभव और मेडे कॉल

कप्तान सुमीत सभरवाल के पास 8,200 घंटे और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के पास 1,100 घंटे का उड़ान अनुभव था. इतने अनुभवी पायलटों द्वारा मेडे कॉल (MAYDAY) जारी करने के बावजूद विमान को बचाने में असफलता सवाल उठाती है. टेकऑफ के 30-33 सेकंड बाद ही विमान ने ऊंचाई खो दी. इतने कम समय में क्या हुआ कि पायलट स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सके?

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