मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी दूर जाम गेट देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में बनाया गया था. होलकर स्टेट की दोनों राजधानियों महेश्वर और इंदौर आने जाने वाले सबसे कम दूरी के रास्ते के बीच में पहाड़ी के मुहाने पर ये गेट इस तरह बनाया गया था कि रास्ते के दोनों तरफ नजर रखी जा सके. बारिश के दिनों में खूबसूरत वादियों के अलावा जाम गेट एक अद्भुत घटना के लिए जाना जाता है. आमतौर पर जब भी हम किसी घाट पर कोई वाहन ले जाते हैं तो कार न्यूट्रल या बंद करने पर हैंडब्रेक लगाना पड़ता है या वाहन के वाहन लुढ़कने न लगे इसलिए ढलान की ओर पत्थर अड़ा देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि घाट पर पार्क किया कोई वाहन ढलान की बजाय ऊपर की ओर यानी घाट की तरफ चढ़ने लगे.
जाम गेट पर ऐसा ही कुछ अद्भुत हो रहा है. कहते हैं चुंबकीय प्रभाव के चलते या विपरीत गुरुत्वाकर्षण बल के कारण घाट पर बंद वाहन भी अपने आप चढ़ाई चढ़ने लग जाता है. मंडलेश्वर मार्ग पर महू से 42.500 किलोमीटर दूर एक पुलिया के पास जब हमने ढलान की ओर कार बंद की तो कार अपने आप पीछे की ओर चढ़ाई चढ़ने लगी. एक बार नहीं हमने बार-बार ऐसा करके देखा. देखें Video:-
दूसरा स्थान जाम गेट के ठीक पास पार्किंग स्थल के नजदीक. जब हमने ढलान की ओर कार को बंद किया तो कार पीछे की ओर तेजी से चढ़ाव की तरफ जाने लगी. यहां कार की रफ्तार अचानक पीछे जाते हुए बढ़ने लग जाती है, इसलिए इस स्थान पर बगैर ड्राइवर के कार को छोड़ नहीं जा सकता, अन्यथा बेकाबू कार से हादसा भी हो सकता है.
इनका कहना
पीजी कॉलेज फिजिक्स की असिस्टेंट प्रोफेसर ऐश्वर्या दिलावर का कहना है कि इस तरह की हिल्स को मैगनेटिक हिल्स या एंटी ग्रेविटी हिल्स कहा जाता है. ये मेजर टूरिस्ट अट्रैक्शन है. ये वर्ल्ड वाइस फेमस है और टूरिस्ट को अचंभित करता है. बेसिकली ये ऑप्टिकल इल्यूजन है. देखें Video:-
शाजापुर निवासी ताहिर हुसैन का कहना है कि हम यहां पर घूमने के साथ से आए थे. गाड़ी पार्क की तो एक ओर ढलान है और एक तरफ चढ़ाव है. जैसे ही गाड़ी न्यूट्रल की और हैंडब्रेक हटाया वैसे ही गाड़ी आटोमेटिक रिवर्स जाने लगी. पीछे की ओर गाड़ी जाने लगी. यहां पहली बार इस तरह का अनुभव हुआ.

जाम गेट के पास जूना पानी निवासी लक्ष्मी नारायण का कहना है, ये रोड जब से बना है तब से ऐसा हो रहा है छोटी-मोटी गाड़ियां पहले यहां से निकलती थीं. रोड बनने के बाद अब संख्या बढ़ गई है. कई लड़के आए गाड़ी खड़ी की तो कार अपने आप पीछे की ओर जाने लगी. इसके बाद दूसरों को बताया और ऐसे कई लोग आते हैं. मैंने तो कई बार देखा है. पर एक गाड़ी वाला आया. बोला कि देखो मैं जा इधर रहा हूं लेकिन गाड़ी दूसरी ओर जा रही है. न्यूटल गाड़ी जा रही थी. बोला अचंभा है, यहां कोई बलाएं वगैरह तो नहीं है. मैंने कहा कुछ नहीं है. माता जी का मंदिर है और माता जी की कृपा है.
सैनिक सहदेव गिरवाल का कहना है कि जाम गेट से 20 मीटर आगे ग्रेविटी है. मैग्नेटिक ग्रेविटी है. जो भी गाड़ी उस तरफ से आती है, न्यूट्रल करने पर अपने आप ऊपर की ओर चढ़ने लगती है. ऐसे दो-तीन पॉइंट हैं. एक बागेश्वर माताजी का मंदिर पर और एक उसके ऊपर है. जहां दरगाह वगैरह उसके पास बनी है. बहुत सारे लोगों ने ऐसा किया है. कई लोग इंदौर से आते हैं, महू से आते हैं. रविवार के दिन ज्यादा लोग आते हैं और इस तरह प्रयोग करते हैं.
विज्ञान के लिए भी चमत्कार
प्रत्यक्षदर्शी टीचर एसएल राठौर का कहना है, मैं अपने साथियों के साथ घूमने के लिए आया था, मुझे आश्चर्य इस बात से हुआ कि जैसे ही हमारे साथी ने जब गाड़ी ढलान में खड़ी की, गाड़ी को ढलान में नीचे की ओर जाना चाहिए. लेकिन वो चढ़ाव की तरफ जा रही थी. आश्चर्य का विषय है और साथ ही और कौतूहल का विषय भी है. कहीं ना कहीं विज्ञान के लिए भी चमत्कार का विषय है. हमने इस पहाड़ी पर दो जगह ट्राई किया और दोनों ही जगह पाया की न्यूट्रल गाड़ी चढ़ाई की ओर जाती है. वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता है. कहीं ना कहीं चमत्कार जैसा है. यहां मैग्नेटिक पावर हो सकता है.
इसलिए प्रसिद्ध है जाम गेट
जाम गेट का इतिहास बताता है कि देवी अहिल्याबाई होलकर के शासनकाल में ये बनाया गया था. यहां का घाट क्षेत्र और मनोरम वादियां सबको अपनी ओर आकर्षित करती हैं. हर छुट्टी पर इंदौर सहित आसपास के जिलों खंडवा, उज्जैन, बुरहानपुर, बड़वानी के सैलानी हरियाली और मनोरम दृश्य देखने पहुंचते हैं.