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1962 के युद्ध में जवाहरलाल नेहरू ने बुलाया था संसद का विशेष सत्र, दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार से की बड़ी मांग

दिग्विजय सिंह ने मांग की कि पीएम मोदी सर्वदलीय बैठकों में शामिल हों. साथ ही कहा कि सरकार को पहलगाम आतंकी हमले, 'ऑपरेशन सिंदूर' और सीमा पार ड्रोन व मिसाइल हमलों के बाद बनी भारत-पाक सहमति को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए.

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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह. (फाइल फोटो)
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह. (फाइल फोटो)

भारत पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद विपक्ष संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा है. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने केंद्र सरकार को चीन के साथ युद्ध के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के अनुरोध पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विशेष सत्र बुलाने की याद दिलाई. 

दिग्विजय सिंह ने मांग की कि पीएम मोदी सर्वदलीय बैठकों में शामिल हों. साथ ही कहा कि सरकार को पहलगाम आतंकी हमले, 'ऑपरेशन सिंदूर' और सीमा पार ड्रोन व मिसाइल हमलों के बाद बनी भारत-पाक सहमति को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य टकराव के बीच शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 'संघर्ष विराम' का जिक्र करते हुए दिग्विजय ने कहा कि भारत का यह स्पष्ट रुख है कि वह (सीमा पार के मुद्दों पर) तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को कभी स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने ट्रंप के बयानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया. 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, "वे (ट्रंप) कब और क्या कहेंगे, इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती. लेकिन प्रधानमंत्री की 'चुप्पी' ने हमें परेशान कर दिया है. प्रधानमंत्री सर्वदलीय बैठकों में भी हिस्सा नहीं लेते." 

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उन्होंने कहा कि चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी की मांग पर (संसदीय) सत्र बुलाया था.

सिंह ने कहा, "हम मांग करते हैं कि संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए. कम से कम उन्हें (प्रधानमंत्री को) सर्वदलीय बैठकों में हिस्सा लेना चाहिए." 

इस सवाल के जवाब में कि क्या अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है, सिंह ने कहा कि कश्मीर पर भारत का एकमात्र अधिकार है. 

उन्होंने कहा, "(जम्मू-कश्मीर को भारत में मिलाने) का फैसला रियासतों पर छोड़ दिया गया था. इसके बाद कश्मीर के तत्कालीन महाराजा ने भारत के साथ रहने का फैसला किया." 

बता दें कि चार दिनों तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान शनिवार को तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलीबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए सहमत हुए. 

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