महाकाल की नगरी उज्जैन से नाता रखने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समझ हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत है. उनके भाषणों और क्रियाकलापों में यह स्पष्ट झलकती है. वे एक तो किसी से कुछ उधार और मुफ्त में नहीं लेते, साथ ही पूजा-पाठ में भी खुद ही चढ़ावा देते हैं. उनकी यह सादगी हाल ही में राजधानी भोपाल में विधानसभा विश्राम गृह के भूमिपूजन के दौरान देखने को मिली.
बीती 21 जुलाई को भूमिपूजन के समय पंडित जी के मंत्रोच्चार के बाद दक्षिणा की बारी आई, लेकिन पूजा में व्यस्त मुख्यमंत्री मोहन यादव अपनी जेब से पैसे नहीं निकाल सके. इसी बीच, हुजूर सीट से BJP विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपनी जेब से 500 रुपए का नोट निकाल मुख्यमंत्री को थमा दिया. जैसे ही पूजा समाप्त हुई, मुख्यमंत्री ने तत्काल अपने पर्स से पैसे निकालकर रामेश्वर शर्मा को दक्षिणा वापस कर दी. ये दृश्य देखकर वहां उपस्थित सभी नेताओं के चेहरे मुस्कान से खिल उठे तथा हंसी-ठिठोली का माहौल बन गया.
मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में विधायक विश्राम गृह परिसर में नवीन विधायक विश्रामगृह का भूमिपूजन संपन्न हुआ.
इस कार्यक्रम में संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह भी मौजूद थे. भोपाल में बनने वाला यह विश्राम गृह लगभग 160 करोड़ रुपए की लागत से विकसित होगा, जिसमें सभी आवश्यक सुविधाओं सहित 102 फ्लैट्स शामिल हैं.
भूमिपूजन के बाद सीएम यादव ने शिलालेख का अनावरण किया तथा भगवान श्रीराम और भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा व्यक्त की. कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और वंदे मातरम गायन से हुई. प्रमुख सचिव विधानसभा अवधेश प्रताप सिंह ने बताया कि 14 एकड़ क्षेत्र में ये फ्लैट बनने हैं, जिनका निर्माण 18 माह में पूर्ण किया जाएगा. परिसर में वाहन पार्किंग, जिम, फायर अलार्म, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, चिकित्सालय, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी.
इस अवसर पर खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास कैलाश सारंग, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा, गिरीश गौतम, विधायक एवं पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा, विधायक विष्णु खत्री, विधायक भगवानदास सबनानी, महापौर मालती राय, नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे.