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कहानी : एक क्रिमिनल की न्यू ईयर नाइट | स्टोरीबॉक्स विद जमशेद

साल की आखिरी रात थी. पूरा शहर जश्न में डूबा हुआ था. लेकिन तभी पुलिस की तरफ से ऐलान हुआ कि कुछ संदिग्ध शहर में देखे गए हैं, सभी लोग होशियार रहें. उन दिनों मैं एक कैफे में सिक्योरिटी ऑफिसर के तौर पर काम था. मैं अपनी ड्यूटी कर रहा था कि तभी मेरी नज़र एक शख्स पर पड़ी जो जश्न मना रहे लोगों को घूर रहा था... कौन था वो आदमी? उसके इरादे क्या थे... सुनिये स्टोरीबॉक्स में कहानी 'एक क्रिमिनल की न्यू ईयर नाइट' जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से

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कहानी: एक क्रिमिनल की न्यू ईयर नाइट
राइटर : जमशेद क़मर सिद्दीक़ी

वो सर्द रात साल की आखरी रात थी। इकतीस दिसंबर की रात। जब पूरा शहर रोशनी से नहाया हुआ था जश्न का रंग शहर की सड़कों पर रोशनी बनकर बिखरा हुआ था। थोड़ी-थोड़ी देर में पुलिस की तेज रफ्तार गाड़ियाँ सायरन बजाती हुई शोर के बीच से निकलती थीं। उनके गुजरते ही जश्न में झूम रहे लोग एक पल के लिए चौंक जाते हैं। पेट्रोलिंग तो हर साल होती है लेकिन इस बार कुछ ज़्यादा थी... लोग कह रहे थे कि पुलिस ने रेड अलर्ट जारी किया है...इनफॉर्मेशन है कि कुछ संदिग्ध लोग शहर में दाखिल होते हुए देखे गए हैं और वो नए साल की रात किसी खतरनाक घटना को अंजाम दे सकते हैं। ... हालांकि इस अलर्ट के बावजूद जश्न में कोई कमी नहीं आयी थी। सेक्टर बीस की उस चौड़ी सड़क के किनारे बने विंसेंट कैफे में खूब चहल पहल थी। कांच की बड़ी-बड़ी दीवारों से आर-पार नए साल के जबरदस्त जश्न की रंगत दिख रही थी कि तभी वहां कुछ हलचल होने लगी. (बाकी की कहानी नीचे लिखी है लेकिन अगर आप इसी कहानी को अपने फोन पर जमशेद क़मर सिद्दीक़ी से सुनना चाहते हैं तो ठीक नीचे दिए गए SPOTIFY या APPPLE PODCAST पर क्लिक करें)

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(बाकी की कहानी यहां से पढ़ें) उस कैफे के सिक्योरिटी ऑफिसर के तौर पर मेरा तीसरा साल था। कैफे की पूरी सिक्योरिटी मेरी जिम्मेदारी थी। अट्ठावन security guards की हमारी टीम को मैनेज करना, बड़े events पर strategy बनाना और एक्शन लेना ये सब मेरी ड्यूटी का हिस्सा था। वैसे इस कैफे में आने वाले ज्यादातर लोगों को मैं जानता था लेकिन क्योंकि न्यू ईयर पार्टी में बहुत सारे नए चेहरे भी आते हैं इसलिए सब पर नज़र रखना ज़रूरी होता है। तो उस रात मैं ड्यूटी पर चौकन्ना था.... मैंने अपनी कमर पर बेल्ट से लगे हुए वायरलेस को निकाला और अंगूठे से एक बटन दबाते हुए कहा "गेट नंबर तीन पर दो गार्ड्स और भेजिए और मेन गेट के सामने से ये भीड़ हटवाइए। क्विक" कहते हुए मैं दूसरे गेट की तरफ चल दिया लेकिन तभी मेरा फोन बजा... माँ का मैसेज था। लिखा था "टीवी में बता रहे हैं की दिल्ली में ठंड बहुत हो गयी है। कान ढके रखना बेटा" मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। हम चाहे दुनिया में कुछ भी बन जाए कितने भी बड़े हो जाए लेकिन माँ के लिए बच्चे ही रहते हैं। मुझे माँ और बाऊजी पर अचानक प्यार आने लगा। कैफे की भीड़ से बाहर की तरफ आया जहाँ थोड़ी खामोशी थी। मैंने फोन मिलाया माँ ने उठाया "हेलो मम्मी" -  "हेलो बेटा"
- "मम्मी हैपी न्यू Year"
मैंने कहा तो माँ ने हंसते हुए कहा "Happy New Year, अच्छा सुनो वो मैंने कहा था ना कि मुझे कुछ पैसे भेज देना....कुछ कंबल बनवाने हैं... यहां जो बच्चे ट्रैफिक पर भीख मांगते हैं...वो रात में सामने वाली मार्केट की बंद दुकानों के सीढ़ियों पर सोते हैं... मैंने देखा... ठंड बहुत है... उनके लिए..."
अरे मां....” मैंने उनकी बात काटते हुए कहा, “ये हर साल दिसंबर आते ही आपको क्या भूत चढ़ जाता है ..मदर टेरेसा का...पिछली बार भी दिया था... इस बार मैं नहीं दूंगा आपको पैसे... भेजूंगा सिर्फ इस शर्त पर कि पैसे आप अपने ऊपर खर्च करेंगी..
उन्होंने हंसते हुए कहा “अरे मैं क्या खर्च करूंगी अपने ऊपर
- “नहीं मम्मी” मैंने बात काटते हुए कहा, “आप पापा के साथ कहीं घूमने जाइये... मैं बुक करता हूं आप लोगों की टेबल.... आ...” मैं मम्मी से बात कर ही रहा था कि अचानक मेरा वायरलेस बजा। पता चला की cafe के backside पर कुछ लड़कों का झगड़ा हो गया है। “अच्छा मम्मी, फोन रखता हूँ, मुझे कुछ काम है। हाँ हाँ” कहते हुए मैं तेज़ी से वहां पर पहुंचा तो देखा कि कैफे में दो लड़कों में हाथापाई हो रही थी।
सुनिए आप लोग, आप लोग पीछे हो जाइए, हटिए..” मैंने उन दोनों लड़कों को सिक्योरिटी गार्ड्स के जरिए पकड़ा और उन्हें समझाया बुझाया। ये जगह विंसेंट कैफे के पीछे की तरफ थी जो एक अंडर कंस्ट्र्क्शरन रोड से लगी हुई थी जिसमें शायद आगे जाकर कुछ सीवर के बड़े-बड़े पाइप्स डाले जा रहे थे इसलिए पूरी रोड खुद ही हुई थी। कुछ दूर रोड पर वो पाइप्स सड़क पर आड़े तिरछे पड़े दिखाई भी दे रहे थे। पर रात को वो जगह सुनसान रहती थी और कैफे के बैक साइड से बिल्कुल जुड़ी थी तो वहाँ पर भी कुछ लोगों के बैठने का इंतजाम कैफे की तरफ से कर दिया गया था। वहाँ म्यूजिक का इंतजाम था... कुछ लकड़ियों का एक गट्ठर भी जलवा दिया गया था। ड्रिंक्स भी रखे थे और सजावट के तौर पर वहाँ पर कुछ चमकीले सितारे वगैरह लटक रहे थे और ऊपर एक बड़ा सा कपड़े का लाल बैनर था जिस पर सफेद रंग से लिखा था HAPPPY NEW YEAR 2026। वो कपड़े का बैनर मैंने ही अपने सिक्योरिटी ऑफिसर्स के ज़रिए बंधवाया था, काफी हाइट पर था। अभी ठंड हवा थोड़ी तेज़ हो गयी थी... जिसकी वजह से वो बैनर बैनर धीरे धीरे डोल रहा था। तो खैर मैं वहाँ से दूसरी तरफ जाने लगा पर ठीक उसी वक्त। मेरी नज़र रोड पर दूसरी तरफ सुनसान जगह पर खड़े एक शख्स पर गई। एक आदमी जो एक पेड़ की आड़ में खड़ा था... एक टक इसी तरफ देखे जा रहा था... मेरी नज़र उस पर ठहर गई.... वो अधेड़ उम्र का आदमी, सांवला सा, दाढ़ी बढ़ी हुई, बाल बिखरे, आँखें लाल। पुरानी सी फटी हुई मैली कमीज पहनी थी जिसका रंग शायद कभी सफ़ेद रहा होगा पर अब मटमैला हो गया था और उसी रंग का एक पैजामा सा था। वो नंगे पैर था और इस तरफ लगातार देख रहा था। मुझे वह आदमी संदिग्ध लगा। क्या वो कुछ? करने वाला था। मेरी नजरें उस खतरनाक चेहरे पर गड़ गई। वो चुपचाप एक टक इस तरफ देख रहा था। मैं कुछ देर उसे देखता रहा फिर अचानक कैफे के अंदर से शोर तेज़ होने लगा क्योंकि बारह बजने ही वाले थे। शोर बढ़ने लगा म्यूजिक रुक गई। मैं वहीं पर रहना चाहता था लेकिन अंदर के इंतजाम देखने के लिए मुझे वहाँ से जाना पड़ा। माहौल में शोर कुछ और बढ़ा और फिर नए साल का काउंट डाउन शुरू हो गया। और इसी के साथ music बजने लगे। लोग एक-दूसरे से गले मिलने लगे और बाहर बहुत सारी आतिशबाजी आसमान में रौशनी बिखरने लगी। मुबारकबाद के शोर शराबे में लोग नाचने लगे, गाने लगे, नई उम्मीदें, नए सपने और नए एक्सपीरियंस लिए नया साल फिर आ गया था।
हर कोई जश्न में था लेकिन मेरे ज़हन में वो आदमी ठहर गया था। ना जाने मुझे क्यों लग रहा था कि वो कुछ तो करने वाला है। मैं वापस cafe की बैक साइड आया तो देखा की वो आदमी उस जगह नहीं है। मैंने इधर-उधर नज़र दौड़ाई तो चौंक गया.... मैंने देखा तो इस बार वो कैफे के थोड़ा और करीब आ गया था। उसने रोड क्रॉस कर ली थी और अजीब नज़रों से, जहाँ लोग खड़े थे उस नए साल के लाल बैनर के नीचे।
मैंने उसकी आंखे देखी लग राह था कि उसके शैतानी मन में कुछ खतरनाक चल रहा हो। मैं सिक्योरिटी एजेंसियों में लंबे वक्त से काम कर रहा हूँ इसलिए आदमी की नज़र पहचानता हूँ... कोई आदमी जब कुछ गलत करने के मंसूबे मन में लिए हुए आगे बढ़ता है... तो उसके हाव-भाव बदल जाते हैं। मैंने क्रिमिनल साइकोलॉजी में पढ़ा था.... और वही हावभाव, वही चाल उस वक्त उस शख्स की थी। मैं यकीन से कह सकता था कि कुछ तो खतरनाक उसके मन में चल रहा है। कुछ भी हो सकता था। शायद ये उन्हीं मशक़ूक... यानि संदिग्ध लोगों से हो जिन्हें शाम से पुलिस की सायरन बजाती हुई गाड़ियाँ ढूंढ रही थी। शायद मैं... बिल्कुल ग़लत नहीं था।
तभी किसी ने मेरे कंधे पर हाथ मारते हुए कहा “Happy new year दोस्त” ...पलटकर देखा तो वहां अस्थाना साहब खड़े थे जो की कैफ के रेगुलर कस्टमर थे... मैंने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया। “हैप्पी न्यू ईयर सर, एवरीथिंग अलराइट मदम नहीं आयी?” मैंने पूछा तो वह अपनी पत्नी की खराब तबियत के बारे में बताने लगे और इधर- उधर की बातें होने लगीं। इसी बातचीत के चक्कर में वो आदमी मेरी आंखों से फिर ओझल हो गया। “अरे कहाँ गया?” मैं चौंक कर बुदबुदाया और यहाँ वहां देखने लगा। तेज कदमों से आगे बढ़ते हुए मैं लगभग दौड़ने लगा। पर वो आँखों से ओझल हो गया था। हमारी फील्ड के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि किसी संदिग्ध का आँखों से ओझल हो जाना रिस्क को साठ फीसदी बढ़ा देता है। मैं फौरन अंदर की तरफ भागा और एडमिन रूम में जाते हुए सीसीटीवी के बड़े से मॉनिटर के पास जाकर बैठ गया। उस बड़ी सी स्क्रीन में पूरे कैफे के बीस कैमरों की फुटेज छोटे छोटे ब्लॉक्स में चल रही थी। मैं हड़बड़ाई नजरों से उस स्क्रीन पर देखने लगा। फ्रंट साइड के ओपन आरिया में कुछ लोग खड़े बातें कर रहे थे बैक साइड में कुछ लोग अभी भी बैनर के नीचे खड़े हाथ में ग्लास लिए झूम रहे थे। पार्किंग में गाड़ियों की कतार थी। मैं गेट पर सिक्योरिटी गार्ड्स मुस्तैदी से सबको जाँच रहे थे लेकिन तभी मेरी नज़र किनारे वाले एक वीडियो पर गयी। ये कैमरा पीछे की तरफ लगा हुआ था। पीछे वाली सुनसान सड़क पर गेट के पास लगे एक बड़े से न्यू यर के कट आउट के पीछे से। दो खौफनाक आँखे झाँक रही थी। ये ये वही था। मैंने जल्दी से camera zoom किया उसकी आँखें देखी। वो आँखें वहाँ खड़े इक्का दुक्का लोगों को घूर रही थी जो वहाँ डांस कर रहे थे। जैसे वो कुछ करने वाला है... कोई प्लैनिंग उसके ज़हन में चल रही थी। बिल्कुल उसी हैपी न्यू इयर वाले बैनर के ठीक नीचे जहां सब लोग खड़े थे। मैंने देखा कि वो आहिस्ता से निकला और दबे पाँव कैफे की तरफ बढ़ने लगा। मैं फुर्ती से वहाँ से उठा और तेज़ी से पिछले गेट की तरफ भागा। लॉबी से निकलते वक्त मैंने अपने वायरलेस पर लोगों को अलर्ट किया। “एवरयोन प्लीज बी अलर्ट”
- “इस एवरीथिंग ओके?” दूसरी तरफ से आवाज़ आयी एक ऑफिसर की। मैं पैनिक नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने किसी को बताया नहीं। बस इतना कहा “जस्ट जस्ट बी अलर्ट, जैसे मैं कहूँ कॉल पुलिस इमीडिएटली। एवरयोन ओन योर पोजीशन अलर्ट” कहते हुए मैं हांफता हुआ फुर्ती से पहुँचा जहाँ उसे छुपा देखा था। पर अब वो वहां नहीं था। बल्कि अब वहाँ सन्नाटा था। जो इक्का दुक्का लोग पहले वहाँ खड़े थे वो भी जा चुके थे। मैंने इधर-उधर देखा। गेट पर खड़े गार्ड्स को बोला कोई suspicious आदमी अंदर घुसा तो नहीं है? उसने कहा “नहीं सर मैं तो यहीं हूँ”
- “शिट यार... कहाँ गया वो आदमी?” शायद जितनी देर में आया उतनी देर में वो कुछ करके भागा है, पर क्या? कहीं कोई एक्सप्लोसिव लगाकर तो... सोचते हुए मैंने टीम को बोला कि जल्दी से हर जगह को चेक करो कुछ भी suspicious मिले तो इन्फॉर्म मे वो जरूर यहाँ से कुछ ना कुछ करके तो भाग आए। मैं उसकी नजरें पढ़ चुका था। मैं गलत नहीं हो सकता। वो कुछ तो ग़लत कर रहा था और उसका पकड़ा जाना ज़रूरी था। वो किधर गया होगा? मैंने उस सड़क की तरफ देखा और सोचा कि भागने का यही एक रास्ता है। अगर वो भागा है तो वो इसी तरफ गया होगा। मैंने जल्दी से सड़क क्रॉस की और मैं उस तरफ चल दिया। इधर से उसे सबसे पहली बार आते हुए देखा था। वो अंडर-कंस्ट्रक्शन रोड की तरफ से वायरलेस पर आवाजें गूंज रही थी। सिक्योरिटी ऑफिसर पूछ रहा था। “सर आप रोड की उस तरफ गए हैं क्या?” मैं पीछे कुछ गार्ड्स भेज रहा हूँ। “हेलो सर, शुड आई इन्फॉर्म पुलिस?” उसकी आवाज तेज होती जा रही थी लेकिन मैं तेज कदमों से चला जा रहा था। ठंड में मेरे मुँह से निकलती हुई भाप हवा में मिलती हुई दिख रही थी। सर्दी तेज थी और कोहरा भी पड़ने लगा था। मैं उस तरफ पहुंचा और उबड़-खाबड़ सड़क पर संभल कर चलने लगा। वहां सड़क पर बहुत बड़े-बड़े सीवर के पाइप पड़े हुए थे जिन्हें शायद बाद में रोड के अंदर डाला जाना था। दूर से मुझे एक रोशनी दिखाई थी। कोई तो था वहां पर। मैं उस तरफ बढ़ने लगा। आहिस्ता आहिस्ता आगे बढ़ते हुए वो रोशनी मुझे साफ दिखाई देने लगी। मैं थोड़ा और पास गया। और देखा कि एक बड़े से पाइप के अंदर... वही आदमी बैठा था। हाँ, ये वही था। मैं आड़ में छुप गया। और देखने लगा कि वो क्या कर रहा है। .... और मैंने देखा.... देखा कि उस सर्द कोहरे की रात में उस बड़े से सीमेंट के पाइप के अंदर एक आठ नौ साल का बच्चा भी लेटा था। ये आदमी जो कैफे से भागा था। वो उसके सिरहाने बैठा था। आदमी ने अपनी कमीज़ उठाई। और कमीज़ के अंदर दबाई हुई कोई चीज़ निकाली। मैंने देखा... उसने एक तय किया हुआ कपड़ा कमर से निकाला। “अरे, ये ये ये तो वही लाल बैनर था कपड़े का लाल बैन जो जो कैफे के पीछे वाली रोड पर लटकाया गया था जिस पर लिखा था happy new year
मैंने देखा कि उस आदमी ने उस बैनर को एक बार झटका और फिर अपने बच्चे को उड़ा दिया। वो बच्चा जो अपनी हथेलिया पैरों के बीच में दबाकर। कांप रहा था। तो ये आदमी इतनी देर से इस इस बैनर को चुराने की कोशिश में था ताकि... ताकि अपने बच्चे को.... च्च्च ... “ओह नो” मेरा सारा गुस्सा, सारी सतर्कता, सारा जोश। अचानक बेहिसाब मायूसी। और अफसोस में बदल गया। आँखें एक उदास नमी से भरने लगी।
एक ही दुनिया में कितनी दुनिया है ना। एक दुनिया वो है जो इस जगह से कुछ कदम दूर उस कैफे में बसती है। जहां लोग नए साल की खुशियां मना रहे हैं। दुनिया भर की सहूलतें, रोशनी, हाथ में drinks ... फिर भी उदास है। और एक दुनिया ये है। जहां इतना अंधेरा है कि बस इतनी ही फिक्र है कि रात कट जाए किसी तरह। मुझे दूर से कुछ सिक्योरिटी गार्ड्स और उनके पीछे कुछ पुलिस वाले दौड़कर आते हुए दिखाई दिये। मैंने सीवर पाइप के अंदर अपने बेटे के साथ बैठे उस शख्स की तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ से सामने से दौड़कर आते हुए पुलिस वालों को। मैं जल्दी से पुलिस वालों की तरफ दौड़ा। “कहाँ गया वो?” एक पुलिस वाले ने मुझे देखते हुए पूछा, मैंने कहा “वो वो तो भाग गया। पीछा किया मैंने लेकिन वो आगे से रोड क्रॉस करके भाग गया, शायद उस तरफ” मैंने गसलत तरफ इशारा करते हुए कहा तो पुलिस वालों ने अपने wireless पर टीम को खबर दी और दूसरी तरफ चले गए।
मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा। और फिर अपनी टीम के साथ वापस कैफे की तरफ लौटने लगा। लौटते वक्त एक बार मैंने पलटकर देखा। उस अंधेरे में दूर से हल्की सी एक रौशनी झिलमिला रहे थे। मेरी आँखों में नमी थी, गहरी नमी। मैंने अपना फोन निकाला। कुछ बटन दबाए और फिर मम्मी को एक मैसेज किया। "मम्मी पैसे transfer कर दिए हैं। Happy new year"

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