scorecardresearch
 
Advertisement

दुखी मौसम में एक लम्हे की खुशहाली निकल आईः तनवीर ग़ाजी की मुहब्बत में डूबी शायरी

दुखी मौसम में एक लम्हे की खुशहाली निकल आईः तनवीर ग़ाजी की मुहब्बत में डूबी शायरी

दुखी मौसम में एक लम्हे की खुशहाली निकल आई. मेरे तकिए से तुम्हारे कान की बाली निकल आई.... उसकी आंखों में मुहब्बत की चमक आज भी है, हालांकि उसको मेरे प्यार पर शक आज भी है...तनवीर ग़ाजी इश्क-मुहब्बत के शायर हैं. फिल्म 'अक्टूबर' में भी उनका एक गीत था. साहित्य आजतक के मंच पर पढ़ी गई प्यार में डूबी उनकी रचनाएं आप भी सुनिए.

Dukhi mausam me ek lamhe ki khushahali nikal aai, mere takiye se tumhare kaan ki baali nikal aai...Tanveer Ghazi ki Shayari Sahitya Aajtak ke manch per

Advertisement
Advertisement