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तड़पने को कसर कोई नहीं है, मगर उस पर असर कोई नहीं हैः नवाज़ देवबंदी की मुहब्बत पर शायरी

तड़पने को कसर कोई नहीं है, मगर उस पर असर कोई नहीं हैः नवाज़ देवबंदी की मुहब्बत पर शायरी

नवाज़ देवबंदी एक शानदार शायर हैं. मुहब्बत पर उनकी लिखी गई ग़ज़लें हर उम्र के श्रोताओं द्वारा सराही जाती रही हैं. साहित्य आजतक की ओर से अपने पाठकों, श्रोताओं के लिए लालकिला पर पढ़ी गईं उनकी यह शानदार शायरी, तड़पने को कसर कोई नहीं है, मगर उस पर असर कोई नहीं है.

Dr Nawaj Deobandi ki Muhabbat per likhi Shayari

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