'साहित्य आजतक' के तीसरे दिन हल्लाबोल मंच के सत्र 'आज की कविता' में हिंदी कवयित्री गगन गिल ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने आज की कविता की मौजूदा स्थिति पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि 30 साल पहले जो कविताएं होती थीं वैसी आज नहीं हैं. पहले की कविताओं में विस्तार हुआ करता था, जो आज नहीं दिखता.