'साहित्य आजतक' के हल्लाबोल मंच का पांचवां सत्र 'बोल की लब आजाद हैं तेरे' गायक हरप्रीत सिंह के नाम रहा. उन्होंने सूफी संगीत और हिंदी कविता को नई दिशा में मोड़ा है और उसे नौजवानो से जोड़ा है. इस सत्र की शुरूआत हरप्रीत ने कबीर के 'इस घट अंतर बाग-बगीचे, इसी में सिरजनहारां. इस घट अंतर सात समुंदर, इसी में नौ लख तारा' से की. हरप्रीत को कबीर का निर्गुण बेहद पसंद है और इसे सुरों में बांधकर उन्होंने नया आयाम दिया है. हरप्रीत से सुनिए पूरा सूफी संगीत.