राजधानी दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे 'साहित्य आजतक 2025' के दूसरे दिन जैसे-जैसे शाम हुई, वैसे-वैसे माहौल में एक अलग ही खुमार घुलने लगा. शब्दों और विचारों के महासंगम में संगीत की बयार बहने लगी. मंच पर सिंगर हरगुन कौर पहुंचीं तो उनके आते ही पूरी फिजा सुरों की रोशनी से नहा उठी. दर्शकों की तालियां, फ्लैश की चमक और हल्के-हल्के झूमते कदम… सब मिलकर माहौल को एक जादुई शाम में बदलने लगे.
स्टेज पर आते ही हरगुन ने अपनी दमदार, सुरीली और दिल में उतर जाने वाली आवाज से ऐसा समां बांधा कि लोगों को लगा जैसे यह शाम सिर्फ संगीत की नहीं, बल्कि भावनाओं और एहसास की एक यात्रा बन चुकी है. साहित्यिक महोत्सव में जहां एक ओर शब्दों का संसार था, वहीं दूसरी ओर हरगुन कौर ने अपनी सिंगिंग से उस संसार में मधुरता की ऐसी रोशनी भर दी कि दर्शक जादू में बंधते चले गए.

रोशनी, तालियां, ठुमकते कदम, और संगीत की गूंज से पूरा हॉल थिरक उठा. हरगुन कौर की परफॉर्मेंस का दर्शक बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, और जैसे ही उन्होंने अपनी दमदार आवाज में पहला सुर छेड़ा, भीड़ खुशी से झूम उठी.
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यह सत्र सिर्फ एक लाइव म्यूज़िकल शो नहीं, बल्कि एक इमोशनल और एनर्जेटिक म्यूजिक जर्नी बन गया. हर गाने के बाद तालियों की गड़गड़ाहट होती रही. हरगुन कौर ने 'मैं प्रेम दा प्याला पी आया… मैं रमता जोगी… गाकर जैसे ही मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. उनकी आवाज में कशिश थी कि दर्शक बैठे-बैठे ही झूमने लगे.

हरगुन ने कहा कि साहित्य आजतक वह मंच है, जहां देश के बड़े-बड़े दिग्गज कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है. यहां आज मैं भी आपके सामने हूं. संगीत प्रेमियों की उत्सुकता समझते हुए उन्होंने अगला गीत शुरू किया... माही वे… और पूरा हॉल एक साथ सुरों की लय में डूब गया.
हरगुन कौर की परफॉर्मेंस एक संगीत यात्रा की तरह थी, जहां हर मोड़ पर सुर का स्वाद बदलता, और हर ठहराव पर दिल कुछ नया महसूस करता. जब उन्होंने बुल्ले शाह की रूहानी रचना 'बुल्ला की जाणां मैं कौन…' गाया तो दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान और आंखों में चमक साफ दिख रही थी. गीत खत्म होते-होते हॉल में लंबे समय तक तालियां गूंजती रहीं.
इसी के साथ हरगुन ने कहा कि ये साहित्य की महफिल है तो गजल सुनने वाले कितने लोग हैं. लोगों ने हाथ उठाया. इसके बाद सिंगर ने गाया....
हाय मर जाएंगे. हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया ना करो...
आज जाने की जिद ना करो
तुमको मेरी कसम जाने जां
बात इतनी मेरी मान लो...

सिंगर हरगुन कौर ने मंच पर रोमांस, रूहानियत और खुशी तीनों को एक साथ पिरो दिया. माहौल इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला था कि हर गाने के बाद दर्शकों की तालियां गूंजती रहीं. उन्होंने कहा...
मेरे गम जो अगर आप को मिलते
तो आप अपना होश खो दिए होते
ये तो मेरा दम है कि मुस्कुराती हूं मैं
गर आप होते तो रो दिए होते...
तेरी सादगी में इतना हुस्न है, तेरा सिंगार क्या होगा
तेरे गुस्से में इतना प्यार है, ओ तेरा प्यार क्या होगा...

कोई चलदा न चारा ऐ, तेरे बिना न गुजारा ऐ... गाया तो पूरी की पूरी ऑडियंस एक बार फिर डूबकर झूमने लगी. वहीं ... लग जा गले फिर हंसीं रात हो न हो... शायद इस जनम में मुलाकात हो न हो... पास आइये... गाया तो लोग इमोशंस में डूब गए. इस गाने के बाद ... वे हनिया वे दिल जानिया, तू नेहदे नेहदे रह... जैसे ही गाना शुरू किया तो सभी तालियां बजाते हुए सीट पर बैठे-बैठे ही थिरकने लगे.
हरगुन ने जैसे ही सॉन्ग पूरा किया और माइक रखा तो ऑडियंस ने वंस मोर की आवाज लगाई. इस पर हरगुन ने सुनने वालों को निराश नहीं किया. उन्होंने तुरंत माइक लेकर गाना शुरू कर दिया, जिस पर पूरा हॉल फिर संगीत की स्वर लहरियों से गूंज उठा और लोगों ने जमकर म्यूजिक को एंजॉय किया.