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लेखन की दुनिया में कैसे आगे बढ़ सकती है युवा पीढ़ी? साहित्य आजतक के मंच पर लेखकों ने दिए टिप्स

दिल्ली के मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में शब्द-सुरों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का आज दूसरा दिन है. यह तीन दिवसीय कार्यक्रम 24 नवंबर तक चलेगा. यहां किताबों की बातें हो रही हैं. फिल्मों की बातें हो रही हैं. सियासी सवाल-जवाब किए जा रहे हैं और तरानों के तार भी छेड़े जा रहे हैं.

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साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद लेखक.
साहित्य आजतक के मंच पर मौजूद लेखक.

Sahitya Aaj Tak 2024: देश की राजधानी दिल्ली में सुरों और अल्फाजों का महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' का आज दूसरा दिन है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश के जाने-माने लेखक, साहित्यकार व कलाकार शामिल हो रहे हैं. साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2024' के मंच पर 'किस्से-कहानियों से परे भी लेखन है' सत्र में लेखकों ने अपने विचार रखे और लेखन की विविधता और गहराई पर बात की.

इस सत्र में लेखिका अनुलता राज नायर, शिखा वार्ष्णेय, दिव्या विजय और संजय शेफर्ड शामिल हुए. इन साहित्यकारों ने अपने अनुभवों और रचनाओं के माध्यम से बताया कि लेखन केवल किस्सों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनाओं, विचारों और जीवन की गहराइयों को अभिव्यक्त करने का माध्यम है. लेखन को नए दृष्टिकोण और आयामों से समझने पर बात की गई.

लेखक संजय शेफर्ड ने कहा कि हमने दो किताबें लिखी हैं. जब हम किताबें लिखते हैं, और अगर दस हजार किताबें बिक जाएं तो हम मान लेते हैं कि बहुत अधिक किताबें बिक गईं, वहीं सोशल मीडिया पर कोई आर्टिकल कभी मिलयन व्यूज में पहुंच जाता है. हमारी जेनरेशन के बदलाव में आर्ट का भी काफी कुछ रोल होता है. मैं पूर्वांचल से आता हूं. वहां महिलाओं और पुरुषों में जमीन आसमान का अंतर है, लेकिन लेखन आपको संवेदनशील बनाता है.

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राइटिंग में युवा पीढ़ी कैसे बनाए अपना करियर? साहित्य आजतक में लेखकों ने दिए टिप्स

मेरा 10 महीने ट्रैवलिंग में बीतता है. मुझे हिमालय का प्रोजेक्ट पूरा करने में छह साल लगे. मेरा एक प्रोजेक्ट तीन से चार साल का होता है. ट्रैवलर की यात्रा बहुत अलग है. घूमना तब सार्थक होता है, जब आप वैल्यू क्रिएट करते हैं. मैं उत्तराखंड, हिमाचल और बिहार पर्यटन विभाग के साथ भी काम करता हूं. यहां इतने बड़े देश में एक भी राइटिंग स्कूल नहीं है, एक भी ट्रैवलिंग स्कूल नहीं है. लेखन और ट्रैवल के जरिए भी खूब कमाया जा सकता है. बहुत सारे ट्रैवल मीट अप होते हैं. इसमें काफी सारे लोग आते हैं. वे ट्रैवलर्स से मिलने आते हैं और पैसे भी देते हैं.

संजय ने कहा कि राइटिंग में भी लोगों का इंटरेस्ट है. हिमालय के बारे में संजय ने बताया कि जब ठंड आती है, तब ट्रैकर्स की दुनिया खुलती है. हिमालय में तपोवन में आपको तमाम संन्यासी मिल जाएंगे. वहां पांच से सात फीट तक बर्फ जमी रहती है. वहां हिमालय पर केदारकांठा नाम की जगह पर बेहद ठंड रहती है. वहां जानवरों की आंखों पुतलियां गल जाती हैं, नष्ट हो जाती हैं. इसकी वजह से सरकार ने वहां जानवरों को चश्मे पहनाने की व्यवस्था की है. वहां जानवर आपको चश्मे पहने दिख जाएंगे.

यह भी पढ़ें: साहित्य के महाकुंभ के दूसरे दिन का आगाज, गुलजार, जुबिन नौटियाल और तलत अजीज समेत ये दिग्गज हस्तियां करेंगी शिरकत, पढ़ें- पूरा शेड्यूल

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संजय ने कहा कि हिमालय में पार्वती घाटी है, वहां से 45 ट्रैवलर गायब हुए हैं. मैं वहां भी गया. वहां जाकर हम भटक गए. वहां बर्फ नहीं थी. जंगल थे, खाई थी, रास्ते थे. वहां चार घंटे तक भटकने के बाद एक इंसान मिला, उसने मुझे ट्रैक का मुख्य रास्ता था, वहां तक छोड़ा. फिर मैं कैंप तक पहुंचा. वहां मेरे साथ एक ट्रैवलर थी. उसे वो व्यक्ति नौजवान दिखा और मुझे बुजुर्ग दिखा. इस बात पर भी हमारी काफी बहस हुई. मुझे पिछले छह साल में तीन बार हिमालय से एयरलिफ्ट किया जा चुका है. मैं रहस्यमयी जगहों पर चला जाता हूं.

राइटिंग में युवा पीढ़ी कैसे बनाए अपना करियर? साहित्य आजतक में लेखकों ने दिए टिप्स

लेखिका अनुलता राज नायर ने कहा कि लोग अपना पढ़ाना चाहते हैं. मैंने लिखने के दौरान पढ़ना शुरू किया. ब्लॉग भी लिखे. नीलेश मिश्रा के साथ जुड़कर ये सिलसिला आगे बढ़ा. आज मैं लिखना सिखा भी रही हूं. लोगों की शिकायत होती है कि हिंदी में पैसा नहीं है, लेकिन हमने काफी पैसे लेकर हिंदी की मास्टरक्लास शुरू की. कॉर्पोरेट में ये क्लास होती थी. वहां कई स्टूडेंट पूछते थे कि क्या आप हिंदी में सिखाएंगी तो वहां मैं हिंदी में सिखाती थी. युवाओं के अंदर लिखने की चाहत है, लेकिन उन्हें प्लेटफॉर्म मिलना चाहिए. मैं एक कहानीकार हूं, मेरी लिखी कहानियां नीलेश भी सुनाते हैं. मैंने अपना लेखन कविता से शुरू किया था. नए लिखने वालों को सिखाती भी हूं. अनुलता ने एक कविता भी सुनाई.... दुख भी जैसे रोज-रोज का किस्सा हो, दुख पलता है एक बाज सा..

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शिखा वार्ष्णेय ने कहा कि जब प्लेटफॉर्म मिलता है तो लिखने वाले के लिए काफी सहूलियत होती है. मैंने अपनी रचनाएं इस डर से कभी नहीं भेजीं कि रचनाएं वापस आ जाएंगी. मैंने जो भी लिखा, वो ब्लॉग पर लिखा. उसी की बदौलत मैंने लेखन को आगे बढ़ाया. मेरे लिखे ब्लॉग कहां-कहां पहुंच जाते थे, मुझे खुद भी हैरानी होती थी. मेरी लिखी किताबें, जिन्होंने हमेशा अंग्रेजी में पढ़ा, वो भी पढ़ते हैं. मैं यही कहूंगी कि अगर जिसे भी लिखना है. आपका लिखा अगर एक भी इंसान तक पहुंचता है, और दिल को छूता है तो आप सफल हैं. इस दौरान शिखा ने यूरोप का ट्रैवलॉग से कविता सुनाई. यात्राएं दो तरह की होती हैं, एक होती है ट्रैवलर और एक होती है टूरिज्म. इस दौरान शिखा ने ग्रीस की यात्रा के दौरान लिखी गई एक कविता सुनाई. जिसमें अल्बानिया से ग्रीस पहुंचकर काम शुरू करने वाले परिवार की कहानी थी. 

दिव्या विजय ने कहा कि मेरे लेखन की शुरुआत डायरी में दर्ज शिकायतों से हुई थी. कब डांट पड़ी, कब पिटाई हुई, कब खेलने से मना किया गया. धरती के गर्भ में हलचल हमेशा रहती है, लेकिन पता तब चलता है, जब कोई ज्वालामुखी फूटता है. बचपन की मेरी आज भी कुछ डायरी हैं. जब मैंने विधिवत लिखना शुरू किया तो कहानी से ये सब हुआ. घर में किताबों की कमी नहीं रही, मैं बहुत सारी किताबें पढ़ती थी. पढ़ने के बाद वैसा कुछ रचने का मन होता था. हर लेखक पहले एक पाठक होता है. लेखन के दौरान इच्छा हुई कि थियेटर करूं. इसके बाद कई सारे बदलाव आए. किरदारों को निभाते हुए संवेदनाएं अलग तरीके से व्यक्त होने लगीं. दिव्या ने भी अपनी एक कविता सुनाई, जिसे खूब पसंद किया गया.

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