हरिशंकर परसाई: परसाई का जन्म 22 अगस्त 1924 को मध्य प्रदेश के इटारसी के पास जमाली में हुआ. परसाई के कुछ मशहूर निबंध संग्रह हैं, जिसमें 'तब की बात और थी', 'भूत के पांव पीछे', 'बेईमानी की परत', 'पगडंडियों का जमाना', 'सदाचार का ताबीज', 'वैष्णव की फिसलन', 'विकलांग श्रद्धा का दौर', 'माटी कहे कुम्हार से', 'शिकायत मुझे भी है' और अन्त में, 'हम इक उम्र से वाकिफ हैं' शामिल हैं.
परसाई ने 'ठिठुरता लोकतंत्र' में लिखा,' स्वतंत्रता-दिवस भी तो भरी बरसात में होता है. अंग्रेज बहुत चालाक हैं. भरी बरसात में स्वतंत्र करके चले गए. उस कपटी प्रेमी की तरह भागे, जो प्रेमिका का छाता भी ले जाए. वह बेचारी भीगती बस-स्टैंड जाती है, तो उसे प्रेमी की नहीं, छाता-चोर की याद सताती है. स्वतंत्रता-दिवस भीगता है और गणतंत्र-दिवस ठिठुरता है.'