e-साहित्य आज तक में जावेद अख्तर ने अपने संघर्ष, कोरोना वायरस, लॉकडाउन जैसे कई मुद्दों पर बात की. जावेद अख्तर के सेशन को श्वेता सिंह ने मॉडरेट किया. सेशन के दौरान जावेद अख्तर ने बताया कि वे बच्चों पर अपनी राय नहीं थोंपते हैं.
जावेद अख्तर बोले- जब भी जोया और फरहान अपनी स्क्रिप्ट लिखते हैं तो मुझे भेजते हैं. मैं उसे पढ़ता हूं और ईमानदारी से जवाब देता हूं. मैं अपने बच्चों को तब तक राय नहीं देता हूं जब तक वे मुझसे नहीं मांगते. वो मेरी राय सुन लेते हैं, उसमें से कभी मानते हैं और कभी नहीं मानते हैं. जो मानते हैं अच्छी बात है, जो नहीं मानते वो उनका अधिकार हैं. सच ये है कि ये दुनिया अब यंगस्टर्स की है. ये दुनिया हमारी है ही नहीं. कुछ हमारे पास है जो ये नहीं जानते और कुछ उनके पास है जो हम नहीं जानते हैं. तो सही रहेगा कि हम दोनों एक-दूसरे की इज्जत करें.
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संघर्ष पर घमंड नहीं करते जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने कहा- हम कभी-कभी अपने बुरे वक्त पर घमंड करते हैं. दरअसल वे लोग अपना संघर्ष नहीं बल्कि ये बता रहे होते हैं कि देखो मैं कहां से कहां आ गया. मैं मुंबई आया. मैं ट्रेन-बस के नीचे नहीं आया, मुझे कैंसर नहीं हुआ. इसके अलावा कई तकलीफ मैंने देखी है. घर नहीं था, पता नहीं था कि खाना मिलेगा या नहीं. मेरे जैसे ना जाने कितने लोग इससे गुजर रहे होंगे या गुजर रहे हैं. तो मैं ये नहीं सोचता मैं इकलौता ऐसा हूं.
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संघर्ष के दिनों पर बात करने से बचते हैं जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने कहा- मुझे इस टॉपिक पर बात करने में थोड़ी दिक्कत होती है. ये सच है कि मुंबई में मैं पांच साल किसी तरह बचा रहा. पर इस पर मैं इतराऊं ये ठीक नहीं. यंग जेनरेशन को जावेद अख्तर ने पॉजिटिव रहने की सीख दी. उन्होंने कहा- यही कहूंगा कि आपको नकारात्मक नहीं होना चाहिए. जिंदगी बड़ी जिंदा चीज है, फिर उठेगी फिर ठीक होगी. ये धूल जो बदन पर लगी है फिर झाड़कर चल पड़ेगी. फिर वही गहमागहमी, वही हंगामा होगा.