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How to manage PCOS: आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जो PCOS में दे सकती हैं आराम, डॉक्टर ने बताया

Natural Treatment of PCOS: हल्दी, अशोका, कंचनार और कई अन्य भारतीय जड़ी-बूटियां पीसीओएस को मैनेज करने में मदद कर सकती हैं. अगर आप चाहें तो एक्सपर्ट की सलाह लेकर इनका सेवन कर सकती हैं.

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सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो

PCOS Natural Treatment: पीसीओएस बीते कुछ समय से महिलाओं में सबसे अधिक होने वाली हेल्थ कंडीशन है. यह समस्या टीनएजर्स से लेकर अधिक उम्र की महिलाओं में भी हो रही है. इस स्थिति में हार्मोनल असंतुलन, अनियमित माहवारी, इंसुलिन संवेदनशीलता जैसे लक्षण नजर आते हैं. इस समस्या से लड़ने में एलोपेथिक दवाइयों के साथ ही आयुर्वेदिक चीजें भी इसे मैनेज कर सकती हैं. लगभग 49 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पहचानी गई हैं जो पीसीओएस में मदद कर सकती हैं. इन आयुर्वेदिक चीजों को डाइट में शामिल करने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. गाइनोवेदा की डॉक्टर औक को-फाउंडर डॉ. आरती पाटिल (एमडी आयुर्वेद स्त्री रोग विज्ञान) ने एक इंटरव्यू के दौरान कुछ ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां बताई थीं जो पीसीओएस को मैनेज करने में मदद कर सकती हैं. वे जड़ी-बूटियां कौन सी हैं? यह भी जानें. 

कंचनार (बौहिनिया वेरिएगाटा)

कंचनार कफ और पित्त में असंतुलन को दूर करने में मदद करता है. यह विभिन्न स्थितियों जैसे कि स्किन डिसऑर्डर, थायरॉयड और घावों पर काम करता है. इस जड़ी-बूटी के सूखे फूल व्हाइट डिसचार्ज, खांसी और पीसीओएस में मददगार हैं.

अशोक (सारका इंडिका)

अशोक भी एक और जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से भारतीय संस्कृति में कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है. यह कड़वा और ठंडी होती है. यह रक्तस्राव और प्राइवेट पार्ट के डिसऑर्डर के साथ पीसीओएस में भी फायदेमंद है.

चित्रक (Chitrak)

पतंजलि के अनुसार, चित्रक के पौधे, पत्तियों और जड़ों का इस्तेमाल बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है जिसमें कफ को कम करना, वेट मैनेज करना, डाइजेशन में सुधार करना और मेटाबॉलिज्म बढ़ाना है. एक्सपर्ट का मानना है कि खराब मेटाबॉलिज्म पीसीओएस का मुख्य लक्षण है और इसमें चित्रक औषधि काम आ सकती है.

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शिलाजीत (Shilajit)

भारतीय जड़ी-बूटियों की जब बात आती है तो शिलाजीत सबसे ज्यादा सुने जाने वाले नामों में से एक है. इसके गुणों के कारण इसका प्रयोग कफ, फैट, शुगर, किडनी की पथरी, मूत्र संबंधी समस्याएं, अस्थमा, एनीमिया, मिर्गी, सूजन, त्वचा रोग जैसी समस्याओं में किया जाता है. यह पीसीओएस को कम कर सकता है.

हल्दी (Turmaric)

हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं. इसमें करक्यूमिन नाम का कंपाउंड पाया जाता है जो इसे पीसीओएस के अंदर बढ़ने वाले वजन को मैनेज करने और पीरियड्स की रेगुलैरिटी को कंट्रोल करने में मदद करता है. 

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