हमारे देश में शादियां बहुत ही रंग भरी होती है और उससे भी ज्यादा मजेदार होते हैं शादी के रीति-रिवाज. हर धर्म में अलग-अलग तरह के खास रिवाज होते हैं जैसे पंजाबी दुल्हनों को चूड़ा पहनना बहुत जरूरी होता है और इसकी एक रस्म भी होती है. आइए जानें, क्या है चूडा पहनने की रस्म और क्यों है चूड़ा इतना खास...
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क्या है चूड़ा सेरेमनी चूड़ा सेरेमनी शादी की सुबह दुल्हन के घर पर ही होती है. दुल्हन के मामा उसके लिए चूड़ा ले कर आते हैं जिसमें लाल और सफेद रंग की 21 चूडियां
होती हैं. दुल्हन इस चूड़े को तब तक नहीं देख पाती है जब तक की वह पूरी तरह
से तैयार ना होकर मंडप पर दूल्हे के साथ ना बैठ जाए.
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साल भर होता है पहनना पंजाबी रिवाज के हिसाब से दुल्हन को लगभग 1 साल तक चूड़ा पहनना होता है.
हालांकि इसे 40 दिन तक भी पहना जा सकता है.
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चूड़े का महत्व
चूड़ा शादीशुदा होने का प्रतीक है, साथ ही यह प्रजनन और समृद्धि का संकेत भी होता है.
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चूड़े की रस्म
दुल्हन को चूड़ा शादी के मंडप में ही उसकी मामा जी ही देते हैं. उस दौरान
दुल्हन की आंखें उसकी मां बंद कर देती हैं, जिससे वह चूड़ा ना देख पाए. माना जाता है कि तैयार होने से दुल्हन का चूड़ा देखना शुभ नहीं होता. वहीं रस्म वाले दिन से एक रात पहले चूड़े को दूध में भिगो कर रखा जाता है.
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चूड़ा उतारने की रस्म
चूड़ा उतारने की रस्म में दुल्हन को शगुन और मिठाई दी जाती है. फिर चूड़ा उतार कर
उसकी जगह पर कांच या सोने की चूड़ियां पहना दी जाती हैं. इस मौके पर परिवार की महिलाएं इक्ट्ठी होती हैं.
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कलीरा की रस्म
चूड़ियों में कलीरा दुल्हन की प्रिय
सहेलियां बांधती हैं. कलीरों को दुल्हन तैयार होते समय चूड़े के साथ बांधती है.
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कलीरा गिराना जब कलीरों को दुल्हन की चूडियों के साथ बांध दिया जाता है, तब उसे अपने
हाथों को अपनी अविवाहित सहेलियों या बहनों के सिर पर झटकना होता है. फिर कलीरा जिसके
सिर पर भी गिरती है, माना जाता है कि शादी का अगला नंबर उसी का होगा.