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क्या लड़कियां रोजाना रनिंग कर सकती हैं? क्या कहता है WHO और इंटरनेशनल एक्सपर्ट

रोजाना रनिंग लड़कियों के लिए सुरक्षित है या नहीं? इस बारे में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट्स समेत नेशनल-इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स और स्टडीज क्या कहती हैं, ये जानेंगे.

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रनिंग करना काफी अच्छी एक्सरसाइज है.(Photo: Pixabay)
रनिंग करना काफी अच्छी एक्सरसाइज है.(Photo: Pixabay)

Running benefits for women: फिटनेस का क्रेज समय के साथ लगातार बढ़ रहा है और लड़कियां भी रनिंग ट्रैक पर जोर लगा रही हैं. कारण है कि कई बार लड़कियों और महिलाओं को जिम जाने का समय नहीं मिल पाता तो रनिंग एक ऐसी फिजिकल एक्टिविटी है जिसे कम समय में भी इनडोर या आउटडोर में किया जा सकता है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रोजाना रनिंग हर लड़की के लिए सेफ है? वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) और स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट्स समेत नेशनल-इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स और स्टडीज से लड़कियों के रनिंग करने पर क्या कहती हैं, इस बारे में जान लीजिए.

क्या लड़कियां रोजाना रनिंग कर सकती हैं?

WHO की रिसर्च कहती हैं कि हां, लड़कियां रोजाना रनिंग कर सकती हैं लेकिन सही तरीके से.

हार्ट हेल्थ से लेकर हॉर्मोन बैलेंस तक फायदे गिनाने वाले डॉक्टर बताते हैं कि रोज रनिंग बोन इंजरी और पीरियड प्रॉब्लम्स का खतरा भी बढ़ा सकती है. आइए जानते हैं नेशनल-इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स और स्टडीज से लड़कियों के रनिंग करने पर क्या कहती हैं.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के 2020 गाइडलाइंस के अनुसार 18–64 साल की महिलाओं को हफ्ते में 150–300 मिनट मिड-इंटेंसिटी या 75–150 मिनट हाई-इंटेंसिटी एरोबिक ऐक्टिविटी (जैसे रनिंग, जॉगिंग) कर सकती हैं. इसका मतलब है कि रोजाना 20–40 मिनट की हल्की से मीडियम इंटेंसिटी की रनिंग और जॉगिंग उनके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है.

रोजाना रनिंग के फायदे?

ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में पब्लिश WHO गाइडलाइंस पर काम कर चुके एक्सपर्ट का कहना है कि रेगुलर एरोबिक एक्सरसाइज, जिसमें रनिंग भी शामिल है, दिल की बीमारियों, डायबिटीज, डिप्रेशन और कुछ कैंसर के रिस्क को कम करती हैं.

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​वुमंस हेल्थ पर काम करने वाले इंटरनेशनल रनिंग कोच और स्पोर्ट्स डॉक्टर बताते हैं कि जो महिलाएं हफ्ते में कम से कम 3–4 दिन रनिंग करती हैं, उनमें ब्रैस्ट, यूटराइन और कोलन कैंसर का रिस्क कम पाया गया था. साथ ही इंसुलिन सेंसिटिविटी और वेट मैनेजमेंट बेहतर रहता है.

रनिंग एक पावरफुल कार्डियो एक्सरसाइज है जो हार्ट मसल्स को मजबूत करता है, ब्लड सर्कुलेशन सुधारता है और ओबेसिटी, हाई BP और टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क घटाता है.

​स्टडीज में पाया गया कि रेगुलर रनिंग से इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है, हॉर्मोन बैलेंस में मदद मिलती है और कई महिलाओं में PMS, मूड स्विंग और पीरियड के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिल सकती है.

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस की स्टडी के मुताबिक, ​रनिंग बोन डेंसिटी बढ़ाती है और आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क कम करने में मदद करती है, जो खासकर महिलाओं के लिए बड़ा मुद्दा है. रनिंग से एंडोर्फिन और 'फील-गुड' केमिकल्स रिलीज होते हैं, जो स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन के लक्षण कम करने में मदद करते हैं.

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