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कमर का साइज कम करने की जरूरत है? 20 सेकंड में ऐसे लगाएं पता, डॉ. सरीन ने बताया तरीका

मोटापा पूरी दुनिया में एक महामारी का रूप लेता जा रहा है. भारतीयों में भी मोटापा तो है ही, पेट के आस-पास चर्बी जमा होने की समस्या भी ज्यादा दिखती है, ऐसे में लिवर स्पेशलिस्ट डॉ. शिवकुमार सरीन से जानते हैं कि आखिर कमर का साइज कितना होना चाहिए.

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कमर का साइज आपकी हेल्थ बता सकता है.. (Photo: ITG)
कमर का साइज आपकी हेल्थ बता सकता है.. (Photo: ITG)

Correct waist size health impact: कमर का साइज (Waist Size) न केवल आपके पहनावे और पर्सनैलिटी को प्रभावित करता है बल्कि ये आपकी ओवरऑल हेल्थ का पैमाना भी होता है. फिटनेस इंडस्ट्री की बात करें तो वहां पर वजन से अधिक कमर के साइज को महत्व दिया जाता है क्योंकि जिसकी कमर का साइज अधिक होगा उसके शरीर में 'विसरल फैट' (अंगों के आसपास की चर्बी) भी उतनी ही अधिक मात्रा में होगा. अब नया साल आ रहा है तो अधिकतर लोगों ने अपना न्यू ईयर रेजॉल्यूशन ले लिया होगा कि 2026 में उन्हें अपनी कमर का साइज कम करना है. लेकिन एक आइडल कमर का साइज कितना है, ये भी जानना जरूरी है. 

कितना होना चाहिए कमर का साइज?

लिवर स्पेशलिस्ट डॉ. सरीन के मुताबिक, महिलाओं में वेस्ट और हिप्स का अनुपात 0.7 और पुरुषों में 0.9 से अधिक नहीं होना चाहिए. उदाहरण के लिए किसी महिला के हिप्स का साइज 40 इंच है और उसकी कमर का साइज 32 इंच है. यानी उसका वेस्ट और हिस्प का रेश्यो 32÷40=0.8 होगा जो कि तय सीमा से अधिक है. इसी आंकड़े को यदि महिलाएं 0.7 तक लाती हैं तो वो सही है और यदि उनका रेश्यो 0.7 से अधिक आता है तो उन्हें अपनी सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है.

उसी तरह यदि कोई पुरुष है उसके हिप्स का साइज 40 और कमर का साइज 36 है तो उसके मामले में वेस्ट और हिस्प का रेश्यो 36÷40=0.9 होगा जो कि सही होगा. इसी तरह कोई भी अपनी कमर के साइज से अंदाजा लगा सकता है कि उसे कमर का साइज कम करने की जरूरत है या नहीं.

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कमर के साइज का आपकी हेल्थ पर प्रभाव

मेडिकल साइंस के अनुसार, कमर का बढ़ता साइज हृदय रोग, टाइप-2 डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. आमतौर पर, पुरुषों के लिए 40 इंच और महिलाओं के लिए 35 इंच से अधिक की कमर को स्वास्थ्य के नजरिए से चिंताजनक माना जाता है.

कमर का साइज सिर्फ दिखने की बात नहीं, ये दिल की बीमारी, डायबिटीज, स्ट्रोक और यहां तक कि समय से पहले मौत के रिस्क का बहुत मजबूत इंडिकेटर है, चाहे आपका वज़न (BMI) नॉर्मल ही क्यों न हो. रिसर्च साफ दिखाती है कि जैसे-जैसे कमर बढ़ती है, वैसे-वैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हार्ट अटैक और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा लगातार ऊपर जाता है, खासकर एशियाई और भारतीय आबादी में।

कमर का साइज क्यों मायने रखता है

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश हुई रिसर्च कमर के आसपास जमा चर्बी (Abdominal / visceral fat) शरीर में क्रॉनिक सूजन, इंसुलिन रेसिस्टेंस, हाई BP और खराब लिपिड प्रोफाइल (हाई ट्राइग्लिसराइड, कम HDL) का कारण बनती है. कई बड़ी कोहॉर्ट स्टडीज में हर 5 सेंटीमीटर कमर बढ़ने पर किसी भी तरह से मरने का रिस्क पुरुषों में लगभग 17 प्रतिशत और महिलाओं में 13 प्रतिशत तक बढ़ गया था.

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, यूरोप के 3.5 लाख से अधिक लोगों पर EPIC स्टडी में पाया गया कि सबसे अधिक कमर साइज ग्रुप जिनमें पुरुषों की कमर का साइज 102-103 सेमी से अधिक था और महिलाओं की कमर का साइज 89 सेमी से अधिक था, उनमें कम कमर साइज वाले लोगों की तुलना में मौत का रिस्क लगभग दोगुना था, चाहे BMI कुछ भी हो.

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​कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के मेटा‑एनालिसिस ने दिखाया गया था कि अधिक कमर वाले लोगों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का रिस्क लगभग 40–45 प्रतिशत तक अधिक था और यह रिस्क 90 cm से ऊपर (पुरुष) और 80 cm से ऊपर (महिला) पर तेजी से बढ़ता दिखा.

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