
COVID-19 cases in India: सिंगापुर, हांगकांग के बाद अब भारत में भी पिछले कुछ हफ्तों में कोरोना के मामले बढ़ हैं. देश की तमाम स्वास्थ्य एजेंसीज कोरोना के मामलों पर नजर रखी हुई हैं और कई राज्यों ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है. चीन में कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़तों का प्रतिशत पिछले महीने 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 6.3 प्रतिशत हो गया है और वहां के अस्पतालों में वायरस के लिए A&E रोगियों की दर 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 16.2 प्रतिशत हो गई है. इसके अलावा ताइवान ने कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होने वालों में 78 प्रतिशत की वृद्धि देखी है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है लेकिन लोगों के मन में एक सवाल जरूर है कि आखिर कोरोना फिर से क्यों फैल रहा है? तो आइए इस बारे में डॉक्टर का क्या कहना है, ये भी जान लीजिए.
क्यों बढ़ रहे हैं कोरोना के मरीज?
माहिम (मुंबई) के एसएल रहेजा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट और क्रिटिकल केयर के हेड डॉ. संजीत ससीधरन ने उभरते वैरिएंट की प्रकृति और वायरस के लगातार विकसित होने के कारणों के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा, 'कोरोना की टेस्टिंग अधिकांश संक्रामक रोग पैनल का हिस्सा बन गई है और इसलिए अब इसे अन्य की तुलना में अधिक उठाया जा रहा है. जांच की उपलब्धता और सामान्य सर्दी-जुकाम के कोविड-19 होने के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है.'
'वर्तमान वायरस हल्का प्रतीत होता है. संक्रमण की इस हल्की प्रकृति को संक्रमण के प्रति पर्याप्त मात्रा में नेचुलरलइ इम्यूनिटी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. नागपुर और मुंबई में कोविड-19 के मामलों में अपेक्षाकृत वृद्धि दर्ज की गई है. वर्तमान में, कोविड-19 का प्रसार काफी कम है और यह पहली महामारी के करीब बिल्कुल नहीं है जिसे दुनिया ने पहले देखा था.'
शालीमार बाग में फोर्टिस हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर और हेड डॉ. विकास मौर्य का कहना है, 'जेएन.1 ने अब तक केवल हल्के से मध्यम कोविड-19 लक्षण पैदा किए हैं और गंभीर बीमारी का खतरा कम है. हम बीमारी के हल्के लक्षण देख रहे हैं और इससे गंभीर जटिलताओं के मामले बहुत अधिक नहीं हैं. विशेषज्ञ वर्तमान में प्रसारित हो रहे वेरिएंट की पहचान के लिए परीक्षण और जीनोमिक निगरानी पर भी जोर दे रहे हैं. घबराने की जरूरत नहीं है.'
क्या आने वाले समय में और मरीज सामने आएंगे?
केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में पिछले कुछ महीनों में सबसे ज़्यादा मामले सामने आए हैं. हालांकि, ये संख्याएं बहुत कम हैं और कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है. बारिश और तापमान में गिरावट के साथ, वायरल बीमारी में वृद्धि हुई है. कोई भी वायरल बीमारी, COVID-19 या कोई और बीमारी ठंड के महीनों में समय-समय पर बढ़ती रहेगी. साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि समय के साथ आबादी में 'नेचुरल इम्यूनिटी कम' हो सकती है जिससे संक्रमित लोगों की संख्या में और वृद्धि होगी.'
नई वैरिएंट कैसे आते हैं?
वैरिएंट तीन प्रकार के होते हैं, वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट, चिंता का वैरिएंट और हाई जोखिम वाला वैरिएंट. कोरोनावायरस में नए वैरिएंट बनाने की क्षमता नहीं है लेकिन COVID-19 बार-बार अलग-अलग वैरिएंट बनाता रहता है. जब भी कोई वायरस किसी मानव कोशिका को संक्रमित करती है तो यह म्यूटेट होना शुरू हो जाता है जिससे उसकी आनुवंशिक संरचना में त्रुटियां हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से नए वैरिएंट का उदय हो सकता है. इनमें से कुछ म्यूटेशन वायरस को गंभीर बनाने से रोक सकते हैं जब कि कुछ इसके जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं.'
जेएन.1 वैरिएंट कितना खतरनाक?
डॉ. संजीत ने कहा, 'पिछले 8 से 12 महीनों से JN.1 वैरिएंट मौजूद है जो BA.2.86 का वंशज है जो ओमिक्रॉन फैमिली से संबंधित है. हाल ही में, एक नया सबवैरिएंट पाया गया है जिसे Nb.1.8.1 नाम दिया गया है. यह एक ऐसा वैरिएंट है जिसमें कई म्यूटेशन हैं जो नेचुरल इम्यूनिटी को भी चकमा दे सकते हैं और इंसानी शरीर को आसानी से संक्रमित कर सकता है. इस वैरिएंट के संक्रमण के विभिन्न प्रभावों पर महामारी विज्ञान संबंधी अध्ययन और अधिक डेटा की स्टडी की जा रही है.'

दक्षिण-पूर्व एशिया में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि मुख्य रूप से JN.1 वैरिएंट के कारण हुई है जो कि ओमिक्रॉन BA.2.86 वैरिएंट का वंशज है. जेएन.1 अपने मूल स्ट्रेन की तुलना में फैलने में अधिक तेज है. इसके म्यूटेशन इसे मानव कोशिकाओं से अधिक आसानी से जुड़ने और इम्यूनिटी को चकमा देने में मदद करते हैं. यह वायरस पहले के कोविड वेरिएंट की तरह ही फैलता है.
WHO के अनुसार, JN.1 वैरिएंट में लगभग 30 म्यूटेशन हैं और उनमें से LF.7 और NB.1.8 हैं जो हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामलों में 2 सबसे कॉमन वैरिएंट हैं.