कोरोना वायरस की दूसरी तबाही के बीच मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और हाइजीन को मेंटेन रखना बेहद जरूरी हो गया है. कोरोना के इस संकट काल में यदि आप थोड़ा सा भी असहज या बीमार महसूस कर रहे हैं तो घर में रहकर ही अपनी देखभाल करें. वैसे तो कोरोना या सामान्य रूप से होने वाली खांसी में पहचान करना मुश्किल है, लेकिन अगर आप कुछ विशेष बातों पर गौर करें तो कोविड-19 में वाली खांसी या बाकी लक्षणों को पहचान सकते हैं.
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कॉमन कोल्ड या कोविड-19 दोनों ही हमारे अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करने वाले वायरस के संपर्क में आने से होते हैं. वायरस के छोटे-छोटे ड्रॉपलेट खांसते, छींकते या बोलते वक्त एक इंसान से दूसरे इंसान को संक्रमित करते हैं. हालांकि ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि इन दोनों के ही वायरस अलग होते हैं और इनके लक्षण भी अलग हैं. कॉमन कोल्ड की तुलना में कोविड-19 के लक्षण ज्यादा गंभीर और घातक होते हैं. ये कॉमन कोल्ड की तुलना में ज्यादा दिन तक रह सकते हैं.
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सूखी खांसी- सूखी खांस कोरोना वायरस का एक कॉमन लक्षण है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 59 से 82 प्रतिशत कोरोना मरीजों को शुरुआत में सूखी खांसी की शिकायत होती है. WHO और चीन की फरवरी 2020 की एक साझा स्टडी के मुताबिक, 68 प्रतिशत लोगों में सूखी खांसी के लक्षण मिले हैं, जो कि दूसरा सबसे कॉमन लक्षण है.
कैसी होती है सूखी खांसी- सूखी खांसी का मतलब है- खांसते वक्त मरीज को बलगम की शिकायत न होना. खांसी में बलगम आने का मतलब मरीज को सूखी खांसी नहीं है. आमतौर पर ऐसी खांसी सिर्फ कोल्ड या फ्लू में ही देखी जाती है. हालांकि सूखी खांसी किसी एलेर्जी का संकेत भी हो सकती है. इसलिए कोविड-19 टेस्ट के बाद ही इस विषय में साफ तौर पर ही कुछ कहा जा सकता है.
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लगातार खांसी की शिकायत- अगर आपको खांसी लगातार हो रही है तो ये भी कोरोना वायरस संक्रमित होने की निशानी है. कोविड-19 में मरीज के गले से खांसने पर लगातार एक ही तरह साउंड निकलती है. इससे इंसान की आवाज पर भी थोड़ा प्रभाव पड़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लगातार होने वाली खांसी से गले के एयरवेज़ प्रभावित होते हैं.
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सांस में तकलीफ- खांसी और बुखार के साथ सांस में तकलीफ कोरोना वायरस संक्रमित होने का एक मजबूत संकेत है. दरअसल, लगातार खांसी से हमारे रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है. ऐसी कंडीशन में कई बार इंसान हांफना शुरू कर देता है. अगर ऐसा है तो ये कोई सीज़नल फ्लू नहीं बल्कि कोरोना वायरस है. एक स्टडी में तकरीबन 40 प्रतिशत कोरोना संक्रमित मरीजों ने सांस में तकलीफ होने की बात कबूल की है.
गले में खराश- गले में खराश किसी नॉन सीरियस डिसीज़ या कोरोना वायरस दोनों ही कारणों से हो सकती है. ये एक बेहद असामान्य लक्षण है जो मरीजों में अलग तरह से नजर आता है. कोरोना वायरस नाक और गले की झिल्लियों में दाखिल होकर गले में सूजन और खराश की दिक्कत बढ़ाता है. अगर आपको सूखी खांसी, बुखार, थकावट के साथ गले में खराश भी है तो ये कोल्ड या फ्लू नहीं बल्कि कोरोना वायरस हो सकता है.
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लॉस ऑफ स्मैल- सर्दी और जुकाम होने पर भी अक्सर इंसान की नाक काम करना बंद कर देती है. लेकिन अगर सूखी खांसी और बुखार के साथ आपके सूंघने की शक्ति भी प्रभावित हो रही है तो ये कोरोना वायरस का वॉर्निंग साइन है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमित तकरीबन 41 प्रतिशत रोगियों में ये लक्षण देखा गया है. कई ऐसे भी मामले सामने आ चुके हैं जहां कोरोना पॉजिटिव मरीज में खांसी की बजाए लॉस ऑफ स्मैल का लक्षण देखा गया है.
कोरोना वायरस के छोटे-छोटे लक्षणों को पकड़ना बहुत जरूरी हो गया है. कोरोना लक्षणों की शुरुआत में पहचान कर आप न सिर्फ गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बच सकते हैं, बल्कि दूसरों की जान भी बचा सकते हैं.