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एक विदेशी व्हिस्की जिसे जमकर पी रहे भारतीय! जानिए 'स्कॉच' से कैसे जुड़ा हिंदुस्तानियों का कनेक्शन

2022 में भारत में ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की का इम्पोर्ट 60% तक बढ़ गया. वहीं, पिछले एक दशक में भारतीय स्कॉच बाजार में 200 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये स्कॉच व्हिस्की, जिसका स्वाद भारतीयों की जुबान पर चढ़ गया है.

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भारतीयों के बीच लोकप्रिय हो चला स्कॉच (Representational Image)
भारतीयों के बीच लोकप्रिय हो चला स्कॉच (Representational Image)

खबर है कि भारत अब ब्रिटेन की स्कॉच व्हिस्की (Scotch Whisky) का सबसे बड़ा बाजार बन गया है. स्कॉच के इम्पोर्ट में भारत ने फ्रांस जैसे देश को पछाड़ दिया है. आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में भारत में ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की का इम्पोर्ट 60% तक बढ़ गया. वहीं, पिछले एक दशक में भारतीय स्कॉच बाजार में 200 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. 

दुनिया की कुछ सबसे बेहतरीन व्हिस्की स्कॉटलैंड में तैयार की जाती हैं. यहां बनी व्हिस्की में कुछ तो ऐसा है, जिसकी बराबरी करना दूसरे मुल्कों के बस की बात नहीं. एलीट वर्ग की शराब समझी जाने वाली स्कॉच का बढ़ता बाजार इस बात की तस्दीक करता है कि भारतीयों की जुबान पर महंगी विदेशी शराब का भी जायका चढ़ने लगा है. यहां आम तौर पर लोग व्हिस्की खरीदते वक्त उसके ब्रांड या कीमत को तरजीह देते हैं, प्रकार को नहीं. आम शराब पीने वाले के लिए व्हिस्की का वर्गीकरण मुख्य तौर पर दो ही प्रकार का होता है, एक देसी और दूसरा विदेशी. हालांकि, व्हिस्की की समझ इतनी सरल नहीं है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि भारतीयों के बीच लोकप्रिय हो चला यह स्कॉच आखिर है क्या, जिसकी वजह से यूनाइटेड किंगडम को विश्व मानचित्र पर अलग मुकाम हासिल है. 

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स्कॉच आखिर है क्या?
कोई भी व्हिस्की तभी स्कॉच कहलाएगी, जब वो स्कॉटलैंड में बनी हो. अगर स्कॉटलैंड में नहीं बनी तो उसे स्कॉच नहीं कहेंगे. यही पहली शर्त है. जैसे दार्जिलिंग चाय तभी कहलाएगी, जब वो बंगाल के एक खास क्षेत्र में पैदा हुई हो. देश के विभिन्न हिस्सों में कितनी भी अच्छी चाय मिले लेकिन उसे दार्जिलिंग टी तो नहीं कहा जा सकता. हालांकि, सिर्फ स्कॉटलैंड में बनना ही किसी व्हिस्की को स्कॉच का दर्जा नहीं दिलाता. स्कॉच के लिए जरूरी है कि उसे ऐजिंग (Ageing) की प्रक्रिया से गुजारा जाए. ऐज का मतलब व्हिस्की को कुछ सालों तक खास तरह के पीपों में स्टोर करके रखा जाए. इसी वजह से आपने स्कॉच की बोतलों पर 5 साल, 12 साल, 15 साल लिखा हुआ देखा होगा. इस जटिल प्रक्रिया से गुजरकर ही स्कॉच का एक अलग फ्लेवर तैयार होता है. बनाते वक्त ज्यादा संसाधनों के इस्तेमाल और सीमित उपलब्धता की वजह स्कॉच आम व्हिस्की की तुलना में ज्यादा महंगी होती है. 

स्कॉच के लिए जरूरी है ऐजिंग की प्रक्रिया
स्कॉच के लिए जरूरी है ऐजिंग की प्रक्रिया

भौगोलिक क्षेत्र और शराब का कनेक्शन समझिए 
स्कॉटलैंड से जैसे स्कॉच जुड़ा है, वैसे ही दुनिया की कुछ अन्य मशहूर शराब का भी खास इलाकों से कनेक्शन है. मसलन, बरबन (Bourbon) एक अमेरिकी व्हिस्की है, जो सिर्फ यूएस के केंटुकी क्षेत्र के खास इलाके में  ही तैयार की जाती है. इससे मिलती जुलती ही एक अन्य टेनिसी (Tennessee) व्हिस्की है, जो यूएस के टेनिसी क्षेत्र में बनती है. भारत में बरबन के तौर पर 'जीम बीम' और टेनिसी व्हिस्की के तौर पर 'जैक डेनियल्स' लोकप्रिय ब्रांड हैं. 

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ठीक ऐसे ही, दुनिया भर में जश्न का प्रतीक बन चुके शैंपेन का उत्पादन सिर्फ फ्रांस के एक खास इलाके 'शैंपेन रीजन' में ही होता है. इस शैंपेन रीजन के बाहर बने ऐसे किसी भी एल्कॉहलिक ड्रिंक को शैंपेन के बजाए स्पार्कलिंग वाइन कहेंगे. मसलन, इटली के वेनेटो क्षेत्र में बने स्पार्कलिंग वाइन को प्रोसेको (Prosecco) तो स्पेन में बने स्पार्कलिंग वाइन को कावा (Cava). वहीं, ऑस्ट्रिया और जर्मनी में बनी स्पार्कलिंग वाइन को सेक्त (Sekt) कहते हैं. एक खास इलाके में उत्पादन की वजह से ये सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं, ऐसी किसी भी शराब की कीमत अपेक्षाकृत ज्यादा होती है. 

स्कॉच और आम व्हिस्की में फर्क क्या है 
स्कॉच व्हिस्की को तैयार करने के लिए उसे ओक (Oak) की लकड़ी से बने पीपों में कम से कम 3 साल तक रखा जाता है. पीपे भी ऐसे होते हैं जिनमें पहले कोई दूसरी शराब रखी जा चुकी हो. वहीं, स्कॉच से उलट साधारण व्हिस्कियों को साधारण वाइट ओक के पीपों में रखा जाता है. स्कॉच को बनाने में आम तौर पर सिर्फ एक अनाज जौ यानी माल्टेड बार्ले (malted barley) का इस्तेमाल होता है. वहीं, अन्य व्हिस्कियों को बनाने के लिए कई तरह के अनाज मसलन जौ, गेहूं, मक्का आदि का इस्तेमाल हो सकता है. 

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आम व्हिस्कियों के उलट स्कॉच में ड्राई फ्रूट्स, वनीला, कैरेमेल और स्मोक के काफी जटिल फ्लेवर मिक्स्ड होते हैं. ये पीने में काफी स्मूथ होते हैं और अपेक्षाकृत काफी महंगे भी. भारतीय ब्रांड की व्हिस्की जो इंडियन मेड फॉरेन लिकर (IMFL) की श्रेणी में आते हैं, उनको ऐज किया जाना अनिवार्य नहीं है. वहीं, अधिकतर भारतीय कंपनियां अनाज की जगह गन्ने से चीनी तैयार करते वक्त बने मोलेसेज या शीरे का इस्तेमाल व्हिस्की बनाने में करती हैं. शीरे का इस्तेमाल वैश्विक स्तर पर रम बनाने में होता है. चूंकि, भारत में व्हिस्की बनाने को लेकर कोई मानक तय नहीं हैं, इसलिए भारतीय कंपनियां ऐसा करती हैं. यानी अधिकतर भारतीय ब्रांड के व्हिस्की तकनीकी तौर पर रम हैं. इनमें फ्लेवर ऐड करके व्हिस्की तैयार कर दी जाती है.   

व्हिस्की क्या और कितनी तरह की  
दुनिया में व्हिस्की की आदर्श परिभाषा यह है कि इसे तैयार करने में फर्मेंटेशन की प्रक्रिया से गुजरे हुए मॉल्टेड ग्रेन (malted grains) या अनाज मसलन- जौ, मक्का, गेहूं आदि का इस्तेमाल किया जाए. एक ऐसी शराब, जिसमें जौ, गेहूं, मक्का जैसे अनाजों को fermentation और बाद में distillation की प्रक्रिया से गुजारकर तैयार किया जाता है. व्हिस्की पूरी दुनिया में सबसे स्वीकार्य एल्कॉहलिक ड्रिंक है. इसमें एल्कॉहल की तीव्रता आम तौर पर 40-42 प्रतिशत होती है. व्हिस्की के एक से बढ़कर एक प्रकार हैं, जिनको एक बार में याद रखना भी मुश्किल है. हालांकि, इनका वर्गीकरण मुख्य तौर पर दो तरीके से कर सकते हैं. एक बनाने के तरीके के आधार पर और एक उत्पादन क्षेत्र के आधार पर. उत्पादन क्षेत्र यानी व्हिस्की को किस देश या क्षेत्र में बनाया गया है. क्षेत्र के आधार पर वर्गीकृत व्हिस्की में स्कॉच, बरबन के अलावा आयरिश और जापानी व्हिस्की भी बहुत मशहूर हैं. 

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बनाने के तरीके के आधार पर यह मुख्य तौर पर तीन तरह के हो सकते हैं. पहला ग्रेन व्हिस्की (GRAIN WHISKY) यानी वो शराब जिसे बनाने में मक्का या गेहूं या दोनों का इस्तेमाल किया गया हो. वहीं, सिंगल मॉल्ट व्हिस्की (SINGLE MALT WHISKY) सबसे प्रीमियम किस्म है. इसका उत्पादन सिंगल डिस्टिलरी में ही होता है और इसे बनाने में किसी एक ही तरह के अनाज का इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह की व्हिस्की अमूमन सबसे ज्यादा स्कॉटलैंड में बनती हैं. व्हिस्की का तीसरा प्रकार ब्लेंडड (BLENDED WHISKY) कहलाता है. ब्लेंडेड यानी जिसमें सिंगल मॉल्ट व्हिस्की, ग्रेन व्हिस्की और अन्य प्रकार की व्हिस्की मिक्स हों. चूंकि, ग्रेन व्हिस्की सस्ती होती हैं और सिंगल मॉल्ट महंगी, इसलिए आम तौर पर दोनों को मिक्स करके अपेक्षाकृत कम कीमत पर थोड़ी बेहतर क्वॉलिटी की व्हिस्की तैयार की जाती है. भारत में भी ब्लेंडेड व्हिस्की काफी तैयार की जाती हैं. 

सिंगल मॉल्ट व्हिस्की शराब की सबसे प्रीमियम किस्म है
सिंगल मॉल्ट व्हिस्की शराब की सबसे प्रीमियम किस्म है

भारतीयों को क्यों इतनी पसंद है व्हिस्की 
आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया के सबसे बड़े व्हिस्की बाजार में शुमार है. किसी भी हार्ड लिकर की तुलना में भारतीय सबसे ज्यादा व्हिस्की ही पीना पसंद करते हैं. सवाल उठना लाजिमी है कि जब बीयर, रम, वोदका, ब्रांडी जैसे तमाम प्रकार उपलब्ध हैं तो भारतीयों को व्हिस्की पीना ही इतना क्यों भाता है. व्हिस्की में भी स्कॉच क्यों? बहुत सारे फूड एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारतीयों की स्वाद ग्रंथियों पर ब्रिटिश राज का अभी भी प्रभाव है, इसलिए उन्हें किसी अन्य प्रकार की व्हिस्की के बजाए स्कॉच कुछ ज्यादा ही सुहाती है. स्कॉच अंग्रेजों के साथ भारत आई और धीरे-धीरे भारतीयों के बीच लोकप्रिय होती गई. 

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