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लड़की 29 हफ्ते से प्रेग्नेंट, अबॉर्शन की याचिका पर SC बोला- ये दूसरे केस से बिल्कुल अलग

सुप्रीम कोर्ट ने 29 सप्ताह से प्रेग्नेंट लड़की के अबॉर्शन कराए जाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने यह पता लगाने के लिए डॉक्टरों की एक टीम गठित की कि गर्भपात सुरक्षित रूप से किया जा सकता है या नहीं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की याचिका पर सुनवाई की है.
सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन की याचिका पर सुनवाई की है.

सुप्रीम कोर्ट में एक लड़की के 29 हफ्ते के गर्भ को गिराने की याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने डॉक्टर्स की रिपोर्ट के बाद कहा कि ये मामला दूसरे केसों से बिल्कुल अलग है. डॉक्टर्स का कहना है कि समय काफी हो गया है. जच्चा और बच्चा की सेहत को ध्यान में रखते हुए अबॉर्शन ठीक विकल्प नहीं है. ऐसे में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ASG ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वो पीड़ित लड़की से बात करें और उसकी काउंसलिंग करें. एम्स के विशेषज्ञों की टीम भी पीड़िता को सलाह दे सकती है. कोर्ट अब 2 फरवरी को सुनवाई करेगा.

AIIMS के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भावस्था की इस स्थिति में अबॉर्शन दोनों की सेहत के लिए उचित नहीं होगा. अब बच्चा जीवित ही जन्म लेगा. गर्भ में एक जीव की हत्या करना उचित नहीं होगा. जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पूछा कि क्या पीड़ित लड़की को इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी है?

'परीक्षा दे रही है पीड़ित लड़की'

इस पर याचिकाकर्ता और पीड़ित लड़की के परिजन ने कहा लड़की अभी इम्तिहान दे रही है. उसके इम्तिहान 20 जनवरी तक हैं. लिहाजा अब कोर्ट ने 2 फरवरी (गुरुवार) को इस मामले में सुनवाई की तारीख तय की है.

'अबॉर्शन कराए जाने से हत्या होगी'

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. बेंच ने मेहता और अन्य वकीलों को एम्स की रिपोर्ट सौंपी और मामले की सुनवाई पांच मिनट के लिए स्थगित की. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अबॉर्शन कराए जाने से ये हत्या होगी. एम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अगर C सेक्शन किया भी जाता है तो भी बच्चा जिंदा पैदा होगा. C सेक्शन में बच्चे के जिंदा होने की 80 फीसदी संभावना है.

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'मिड टर्म डिलीवरी को पीड़ित समझती है'

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि लड़की कॉलेज गर्ल है. वह यह बच्चा नहीं चाहती है. इस पर CJI ने कहा कि यह अब गर्भपात नहीं है. याचिकाकर्ता ने कहा कि यह मिड टर्म डिलीवरी है, लड़की इसे समझती है. सीजेआई ने ASG भाटी से कहा कि वह लड़की के साथ बातचीत करें और उसका मार्गदर्शन करें. यह केस दूसरे मामले से अलग है.

जस्टिस पारदीवाला का कहना था कि क्या पीड़ित लड़की को रिपोर्ट की जानकारी थी? याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़ित एक छात्रा है और उसकी परीक्षा 28 जनवरी तक है. वह गाजियाबाद में रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा- हमने एएसजी भाटी से अनुरोध किया है कि वे पीड़िता से बातचीत करें और उसी के अनुसार उसका मार्गदर्शन करें. वह एम्स में काउंसलिंग के लिए भी जा सकती हैं. इस केस को 31 जनवरी के लिए लिस्टेड किया गया है.

 

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