अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या मामले के मुख्य आरोपी आनंद गिरि को इलाहाबाद हाई ने शुक्रवार को बड़ा झटका लगा है. जस्टिस संजय सिंह की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए आनंद गिरि की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. यानी उसे अभी जेल में ही रहना होगा.
वहीं आनंद गिरि के वकील हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे. वहीं 10 सितंबर को हिंदू तिथि के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि की पहली पुण्यतिथि भी मनाई जाएगी. प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.
कोर्ट ने 7 सितंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. आनंद गिरि ने जमानत के लिए सेशन्स कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी लेकिन याचिका खारिज होने के बाद उसने पिछले साल दिसंबर महीने में इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहीं सीबीआई और यूपी सरकार ने आनंद गिरि की जमानत अर्जी का विरोध किया था.
पिछले साल 22 सितंबर से जेल में बंद है आनंद गिरि
जानकारी के मुताबिक आनंद गिरि पिछले साल 22 सितंबर से जेल में बंद है. उसे इस साल 18 अगस्त को नैनी सेंट्रल जेल से आनंद गिरि को चित्रकूट जेल किया गया. उसे महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट के आधार पर गिरफ्तार किया गया था. उसके खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी.
आनंद पर है आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप
महंत नरेंद्र गिरि का शव प्रयागराज के बाघम्बरी मठ में पिछले साल 20 सितंबर को फंदे पर लटका मिला था. घटना के कुछ देर बाद ही हरिद्वार से आनंद गिरि को अरेस्ट कर लिया गया था.
आनंद गिरि पर अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करते हुए उन्हें खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है. सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी. सीबीआई ने इस मामले में आनंद गिरि समेत 3 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.
'CBI के पास पुख्ता सबूत नहीं, शक के आधार हुई FIR'
आनंद गिरि ने कोर्ट में जमानत देने की मांग करते हुए दलील दी थी कि उसके खिलाफ सीबीआई को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है. सिर्फ शक के आधार पर नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा था.
वह घटना के पिछले 6 महीने से प्रयागराज कभी आए ही नहीं थे.फोन और सोशल मीडिया के जरिए भी उनका अपने गुरु से कोई संपर्क नहीं होता था.ऐसे में उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं.
एफआईआर कराने वाले महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य स्वामी अमर गिरि व पवन महाराज ने इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसके मुताबिक उन्होंने पुलिस को सिर्फ मौखिक सूचना दी थी. लिखित तौर पर किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की थी. पुलिस ने अपनी तरफ से उनके नाम एफआईआर दर्ज की है और वह अपनी FIR को वापस लेना चाहते हैं.