गुरुग्राम के निजी स्कूल में 2017 में सात साल के मासूम प्रिंस की गला रेतकर हत्या की गई थी. नाबालिग हत्यारे भोलू (काल्पनिक नाम) को बालिग मानकर केस की सुनवाई होगी. हाल ही में मामले की सुनवाई के दौरान जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने हत्यारोपी को बालिग मानकर ट्रायल शुरू करने का फैसला सुनाया था. सोमवार को फिर से हुई सुनवाई में बोर्ड ने आदेश पर अंतिम मुहर लगा दी है.
गुरुग्राम के निजी स्कूल में मासूम छात्र प्रिंस की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. मासूम का गला रेतने वाला स्कूल का ही 11वीं का स्टूडेंट भोलू था. घटना के वक्त उसकी उम्र 16 साल थी. उसने पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग रद करने के लिए मासूम की हत्या कर दी थी.
मेंटल और साइक्लोजिकल असेसमेंट किया गया
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे) ने फैसला सुनाते हुए कहा ''हत्यारोपी भोलू को बालिग माना जाए''. बता दें, 10 अक्टूबर 2022 को जेजे बोर्ड ने दोनों पक्षों के वकील की जिरह सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2022 में हत्यारोपी का दोबारा मेंटल और साइक्लोजिकल असेसमेंट करवाने का आदेश दिया था.
इस पर गुरुग्राम मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टर की टीम ने उसका मेंटल और साइक्लोजिकल असेसमेंट किया. असेसमेंट में भोलू की हालत स्थिर पाई गई. डॉक्टर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया ''हत्यारोपी की मानसिक और बौद्धिक स्थिति बिल्कुल ठीक है. उसने योजनाबद्ध तरीके से मासूम की हत्या की थी." अब इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए जेजे बोर्ड ने यह बड़ा फैसला सुनाया है.
31 अक्टूबर को सेशन कोर्ट में मामले में ट्रायल शुरू
हत्यारोपी छात्र भोलू शुरुआती जांच में सभी को गुमराह करता रहा था. बाद में सीबीआई जांच में सच सामने आ गया था. बीती 10 अक्टूबर को दोनों पक्षों की और से जिरह की गई थी. इसके बाद बोर्ड ने आज यह फैसला सुनाया है और 31 अक्टूबर को सेशन कोर्ट में मामले में ट्रायल शुरू करने को कहा है.
पुलिस ने रफा-दफा कर दिया था मामला
गुरुग्राम के एक निजी स्कूल में 8 सितंबर 2017 को 7 साल के प्रिंस की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी. गुरुग्राम पुलिस ने इस सनसनीखेज हत्याकांड को रफा-दफा करने के मकसद से 24 घंटे में ही स्कूल बस के कंडक्टर को आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया था. हालांकि, मृतक बच्चे के परिजन पुलिस की जांच पर संदेह जताते रहे और वे कहते रहे कि पुलिस मामले में सही से जांच नहीं कर रही है.
परिजनों ने की सीबीआई जांच की मांग, तब हुआ खुलासा
इसके बाद परिजनों ने लगातार सीबीआई जांच की मांग की. घटना के 2 महीने बाद हत्याकांड की जांच CBI को सौंपी गई. जब सीबीआई ने इस मामले को खंगाला, तो गुरुग्राम पुलिस की थ्योरी पूरी तरह से बेबुनियाद और कोरी कहानी साबित हुई.
जांच में पता चला कि 11वीं का छात्र पैरेंट्स-टीचर्स मीटिंग को कैंसिल करना चाहता था. इसलिए उसने योजनाबद्ध तरीके से मासूम की हत्या की थी. इस मामले में सीबीआई ने पुलिस की थ्योरी को चैलेंज करते हुए उसी स्कूल के 16 वर्षीय छात्र भोलू को गिरफ्तार किया था.
निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन
साल 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद कानून में संशोधन किया गया था. इसके अनुसार, 16 से 18 वर्ष के नाबालिग आरोपियों के खिलाफ जघन्य मामलों में बतौर वयस्क मुकदमा चलाया जा सकता है.
सीबीआई ने पेश की थी 5,000 पन्नों की चार्जशीट
साल 2018 में CBI ने गुरुग्राम के सेशन कोर्ट में आरोपी छात्र भोलू के खिलाफ करीब 5,000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. इसमें 50 के करीब गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे, जिनमें से 23 गवाह उसी स्कूल के थे.