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दिल्लीः AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को SC से झटका, कोर्ट का याचिका पर सुनवाई से इनकार

आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दरअसल, ताहिर हुसैन ने अपने खिलाफ दर्ज एक मामले को रद्द करने की मांग को लेकर एक याचिका दाखिल की थी. लेकिन SC ने ताहिर की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. साथ ही कहा कि वह पहले हाईकोर्ट जाएं.

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ताहिर हुसैन (फाइल फोटो)
ताहिर हुसैन (फाइल फोटो)

आम आदमी पार्टी के पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने ताहिर हुसैन को दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है. ताहिर हुसैन ने अपने खिलाफ दर्ज एक मामले को रद्द करने की मांग की थी.

दरअसल, ताहिर के खिलाफ ये मामला तेजवीर सिंह नाम के व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज किया गया था. तेजवीर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि दिल्ली दंगे से पहले करावल नगर रोड पर स्थित 'भरत वाटिका' में उनका परिवार अपनी भतीजी की शादी की तैयारियों में जुटा था. दंगाइयों ने उस जगह को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. इतना ही नहीं, दंगाइयों ने वाटिका के केयर टेकर से 62 हजार रुपये भी लूट लिए थे.

शिकायतकर्ता का कहना है कि ताहिर हुसैन अपनी छत से दंगाइयों को इस वाटिका में पत्थर और पेट्रोल बम फेंकने के लिए कथित तौर पर उकसा रहा था. इस मामले में ही ताहिर हुसैन ने याचिका दायर की थी. इसमें मांग की गई थी कि केस को रद्द किया जाए. 

ताहिर हुसैन की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अभी यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है. ऐसे में हमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले हाईकोर्ट जाएं.

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दरअसल, 2 महीने पहले सितंबर में दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ उत्तरपूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों में संलिप्तता को लेकर दर्ज तीन FIR के संबंध में आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद ताहिर हुसैन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में हुसैन ने अपने खिलाफ दर्ज 3 FIR को रद्द करने की मांग की थी. इनमें से 2 FIR दयालपुर पुलिस स्टेशन में और तीसरी खजूरी खास पुलिस स्टेशन में IPC की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. 

ताहिर हुसैन के वकील ने उनके खिलाफ दायर FIR में कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए एक आवेदन भी दिया था. इसमें आग्रह किया गया था कि याचिकाकर्ता को एक ही घटना के संबंध में पुलिस नए सिरे से जांच के अधीन नहीं धकेल सकती.

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