उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई ड्राफ्टिंग कमेटी 2 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सरकार को जमा करा सकती है. यह जानकारी सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने मंत्रिमंडल के साथ अयोध्या यात्रा को रद्द कर दिया है. ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इस रिपोर्ट को विधि, वित्त और न्याय विभाग के पास भेजेगी.
'ड्राफ्ट मिलते ही बुलाएंगे विधानसभा सत्र'
ड्राफ्टिंग कमेटी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जस्टिस रंजना प्रकाश की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय यूसीसी कमेटी ने अपना ड्राफ्ट पूरा कर लिया है. यह जानकारी मुझे आज ही दी गई है. जैसे ही हमें ड्राफ्ट मिलेगा, हम विधान सभा का सत्र बुलाएंगे और पूरे राज्य में समान नागरिकता संहिता लागू कर देंगे.
जानकारी के मुताबिक इस ड्राफ्ट में एक ऐसे कानून को बनाने की बात है जो विवाह, तलाक, माता-पिता का भरण-पोषण, संपत्ति, बच्चा गोद लेने और संपत्ति में महिलाओं का अधिकार से संबंधित मामलों में सभी धर्मों पर लागू होगा. साथ ही ड्राफ्ट में यह भी ज्रिक है कि लिव-इन रिलेशनशिप को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
'15 दिन बढ़ाई रिपोर्ट सौंपने की समय-सीमा'
बताया जा रहा है कि ड्राफ्टिंग कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम धामी इस बिल को विधानसभा में पेश करने के लिए एक विशेष सत्र भी बुला सकते हैं. साथ ही सीएम ने कमेटी की रिपोर्ट पेश करने की अवधि को भी 15 दिन के लिए बढ़ा दिया है, क्योंकि यह समय-सीमा शुक्रवार 26 जनवरी को खत्म हो गई थी.
कौन-कौन है ड्राफ्टिंग कमेटी का सदस्य
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए बनाई गई ड्राफ्टिंग कमेटी में चार सदस्य शामिल है, जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में जस्टिस (सेवानिवृत्त) प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और देहरादून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ भी राज्य में कानून के कार्यान्वयन का प्रबंधन कर रही हैं.
इस ड्राफ्टिंग कमेटी ने एक ऑनलाइन पोर्टल बनाकर लोगों से उनके सुझाव मांगे थे, जिसमें लाखों लोगों ने अपने सुझाव दिए थे.